script5 दिन में ढाई फीसदी से अधिक गिरा शेयर बाजार | Share market dip more than 25 percent in last week | Patrika News

5 दिन में ढाई फीसदी से अधिक गिरा शेयर बाजार

locationनई दिल्लीPublished: Dec 03, 2017 01:31:32 pm

Submitted by:

manish ranjan

बीते हफ्ते में 2.5 फीसदी से अधिक टूटा भारतीय शेयर बाजार

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मंबई। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों के पटरी लौटने के आंकड़े आने के बावजूद वित्तीय घाटा बढऩे की आशंका में हसोत्साहित निवेशकों द्वारा की गयी भारी बिकवाली से बीते सप्ताह घरेलू शेयर बाजार ढाई फीसदी से अधिक की गिरावट लेकर बंद हुये। बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स समीक्षाधीन अवधि में 846.30 अंक अर्थात 2.51 प्रतिशत गिरकर 33 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 32832.94 अंक पर आ गया। इसी तरह से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 267.90 अंक अर्थात 2.58 प्रतिशत टूटकर 10121.80 अंक पर रहा। पांच कारोबारी दिवस में से पांच दिन सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट दर्ज की गयी। इससे पहले लगातार आठ दिनों तक शेयर बाजार में तेजी रही थी।
मुनाफावसूली रहा कारण

विश्लेषकों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर तक वित्तीय घाटा के बजट अनुमान के 96 प्रतिशत पर पहुंचने से शेष पांच महीने में इसके लक्षित दायरे से बाहर निकलने के जोखिम को देखते हुये निवेशकों ने बिकवाली की है। यदि सरकार वित्तीय घाटा को लक्षित दायरे में रखने के उपाय करेगी तो इससे अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा और उससे विकास की गति धीमी पड़ सकती है। निवेशकों ने इसी जोखिम को ध्यान में रखते हुये जमकर मुनाफावसूली की है। वैसे भी शेयर बाजार रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया था तो कुछ करेक्शन की संभावना थी लेकिन एक सप्ताह में ढाई फीसदी से अधिक की गिरावट की उम्मीद नहीं की जा रही थी। उनका कहना है कि अगले सप्ताह बाजार में फिर से तेजी देखने को मिल सकती है क्योंकि पूंजी बाजार जिस स्तर पर आ गया है उस पर लिवाली की पूरी संभावना है।
रिजर्व बैंक की मौद्रित नीति समीक्षा पर रहेगी नजर

अगले सप्ताह रिजर्व बैंक की मौद्रित नीति समिति की बैठक होने वाली जिसमें ब्याज दरों पर चर्चा की जायेगी। यह बैठक मंगलवार से शुरू होगी और बुधवार को दोपहर बाद समिति की बैठक का निर्णय जारी किया जायेगा। हालांकि अर्थशास्त्रियों ने ब्याज दरों में फिलहाल कमी की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार द्वारा वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) दर को तर्कसंगत बनाये जाने के बाद से उपभोक्ता मांग बढऩे लगी है जिससे विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन में और तेजी से सुधार की उम्मीद है। इसके साथ ही दुपहिया वाहनों छोटे यात्री वाहनों की मांग में तेजी आने की संभावना दिख रही है। कुद मिलाकर अभी आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए ब्याज दरों में कमी की उम्मीद नहीं की जा सकती है। उनका कहना है कि महंगाई बढऩे का खतरा अभी भी बना हुआ है क्योंकि हाल के दिनों में प्यात और टमाटर के साथ ही कई आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में तेजी आयी है। रिजर्व बैंक महंगाई को चार फीसदी के दायरे में रखने की कोशिश कर रहा है और इसलिए अभी वह ब्याज दरों में कमी करने का जोखिम नहीं उठाने वाला है।
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