वर्ष | जीडीपी |
2017 | 7.61 |
2016 | 7.62 |
2015 | 7.56 |
2014 | 7.24 |
2013 | 6.64 |
2012 | 5.62 |
2011 | 6.64 |
2010 | 10.26 |
2009 | 8.48 |
2008 | 3.89 |
2007 | 9.80 |
2006 | 9.26 |
2005 | 9.29 |
2004 | 7.85 |
2003 | 7.94 |
2002 | 3.91 |
2001 | 4.94 |
2000 | 3.98 |
1999 | 8.46 |
Published: Apr 02, 2018 03:56:51 pm
Saurabh Sharma
अर्थ जगत के जानकारों की मानें तो चुनावों का देश की मार्केट आैर जीडीपी पर भी काफी असर पड़ता है।
BSE
नर्इ दिल्ली। 2019 में आम चुनाव होने जा रहे हैं। इन चुनावों पर मार्केट की भी नजर है। उससे पहले कर्नाटक, राजस्थान आैर मध्यप्रदेश के चुनावों के नतीजे आम चुनावों की रूपरेखा को स्पष्ट कर देंगे। जिसे देश के अर्थ जगत के लोग भी बड़ी बारीकी से देखेंगे। जब बिजनेस पत्रिका ने पिछले 20 सालों के जीडीपी को देखा तो चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए। आंकड़ों में साफ है कि देश की जीडीपी आैर मार्केट ग्रोथ गठबंधन सरकार में ज्यादा हुआ है। बजाय एक पार्टी की वर्चस्व वाली सरकार में। आइए जानिये हमारी विशेष रिपोर्ट में…
मार्केट पर पड़ता है चुनावों का असर
अर्थ जगत के जानकारों की मानें तो चुनावों का देश की मार्केट आैर जीडीपी पर भी काफी असर पड़ता है। आप सभी को पता होगा कि जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव जीते थे तो शेयर मार्केट ने काफी बेहतर छलांग लगार्इ थी। जबकि दो साल पहले देश की जीडीपी साढ़े 6 फीसदी के इर्दगिर्द घूम रही थी। इसका मतलब साफ है कि देश का शेयर मार्केट बेहतर रहता है तो देश की इकाेनाॅमी आैर जीडीपी भी बेहतर रहती है। जानकारों की मानें तो पिछले 6 लोकसभा चुनावों में से 5 चुनावों में शेयर मार्केट से अच्छा रिस्पांस मिला था। इस बार भी अर्थ जगत के लोग इसी बात को मानकर चल रहे हैं।
इन चुनावों पर भी है नजर
अर्थ जगत के लोगों की नजर इस समय विधानसभा चुनावों पर भी है। कर्नाटक चुनाव के अलावा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान चुनाव 2019 के आम चुनावों के लिए काफी निर्णायक होंगे। यह चुनाव ही 2019 के आम चुनावों की दशा आैर दिशा तय करेंगे। जानकारों की मानें तो इन चार बड़े राज्यों में से तीन में बीजेपी आैर एक में कांग्रेस की सरकार है। अगर कर्नाटक कांग्रेस दोबारा वापसी करती है आैर बाकी तीन राज्यों में से बीजेपी दो में अपनी सत्ता गंवा देती है तो 2019 का रुख काफी हद तक साफ हो जाएगा। जिसका असर मार्केट पर भी पड़ेगा। जानकारों की मानें तो चुनावों की वजह से होने वाली अस्थिरता भी निवेशकों को फायदा ही पहुंचाएगी।
मार्केट को भाती है गठबंधन सरकार
अगर 2019 में केंद्र में विशुद्ध गठबंधन सरकार बनती है तो भी मार्केट को फायदा होगा। जानकारों की मानें तो 25 सालों में गठबंधन सरकार में जीडीपी की ग्रोथ सबसे ज्यादा देखने को मिली है। जब इस बात की पुष्टी करने के लिए पत्रिका बिजनेस की टीम ने पिछले 20 सालों के जीडीपी आंकड़ों को देखा तो इस बात की पुष्टी भी हो गर्इ। जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेर्इ की एनडीए गठबंधन सरकार थी तो पांच सालों में एवरेज जीडीपी 5 से 6 फीसदी के आसपास थी। उसके बाद जब यूपीए गठबंधन की सरकार आर्इ तो देश का सबसे बड़ा अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को पीएम बनाया गया। यूपीए के दोनों टेन्योर में जीडीपी रेट 7 से 7.5 फीसदी तक रहा। वर्ष 2010 में जीडीपी गठबंधन सरकार में 10.26 देखने मिली। जो देश के इतिहास में सबसे ज्यादा है। वहीं मोदी सरकार की बात करें तो इन चार सालों में जीडीपी 7 से 7.5 फीसदी के बीच में रही है। वहीं 2018 में जीडीपी 7.67 फीसदी रहने का अनुमान है।
पिछले 20 सालों की जीडीपी
वर्ष | जीडीपी |
2017 | 7.61 |
2016 | 7.62 |
2015 | 7.56 |
2014 | 7.24 |
2013 | 6.64 |
2012 | 5.62 |
2011 | 6.64 |
2010 | 10.26 |
2009 | 8.48 |
2008 | 3.89 |
2007 | 9.80 |
2006 | 9.26 |
2005 | 9.29 |
2004 | 7.85 |
2003 | 7.94 |
2002 | 3.91 |
2001 | 4.94 |
2000 | 3.98 |
1999 | 8.46 |