Published: Jun 14, 2018 12:25:05 pm
Saurabh Sharma
तेल उत्पादक देशों के गुट ओपेक की ओर से ‘कच्चे तेल की कीमतों के साथ खिलवाड़’ के बीच भारत ने तेल खरीदने वाले देशों का क्लब बनाने की संभावना के बारे में चीन के साथ चर्चा की है।
अमरीका को झटका देने को तैयार भारत, चीन के साथ मिलकर निकालेंगे आेपेक की काट
नर्इ दिल्ली। भले ही डोकलाम पर भारत की तनातनी उस तरीके से ना सुलझ पार्इ हो, लेकिन पिछले चार सालों में पीएम मोदी के चीनी दौरा अब रंग लाने लगा है। यहां तक दोनों देशों ने अमरीका को बड़ा झटका देने की तैयारी भी कर ली है। दोनों देश मिलकर आेपेक (तेल उत्पादन देशों की संस्था) की काट निकालने की भी तैयारी कर ली है। जिसमें कर्इ देशों को मिलाने की योजना बनार्इ जा रही है। अगर एेसा होता है तो अमरीका को बड़ा झटका तो लगेगा ही। साथ ही कच्चे तेल पर अमरीका की संप्रभुता को गहरा आघात पहुंचेगा।
आेपेक की काट निकालेंगे भारत-चीन
तेल उत्पादक देशों के गुट ओपेक की ओर से ‘कच्चे तेल की कीमतों के साथ खिलवाड़’ के बीच भारत ने तेल खरीदने वाले देशों का क्लब बनाने की संभावना के बारे में चीन के साथ चर्चा की है। दोनों के देशों का मानना है कि बाजार में उत्पादकों के दबदबे के मुकाबले आयातकों का भी एक मजबूत समूह हो, जो उनसे बेहतर मोल-भाव करने की स्थति में हो आैर अधिक मात्रा में अमेरिकी कच्चे तेल की आपूर्ति हासिल की जा सके।
मिलकर काम करेंगे भारत-चीन
इसी के तहत भारतीय तेल निगम के चेयरमैन संजीव सिंह ने चाइना नैशनल पेट्रोलियम कॉर्प (सीएनपीसी) के चेयरमैन वांग यिलिन से चर्चा के लिए इस महीने पेइचिंग का दौरा किया। बैठक के दौरान एशिया में अधिक अमेरिकी क्रूड की आपूर्ति के लिए संरचना पर चर्चा हुई ताकि करीब 60 फीसदी कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाले ओपेक देशों का दबदबा कम किया जा सके। जानकारी के अनुसार आईईएफ की बैठक में तेल उत्पाद देशों के गुट के खिलाफ बेहतर मोल-भाव करने की स्थिति में पहुंचने के लिए भारत-चीन हाथ मिलाने पर सहमत हुए थे।
कोरिया आैर जापान को भी किया जाएगा शामिल
सिंह की यह यात्रा इसी तालमेल को ठोस प्रस्तावों के साथ आगे बढ़ाने के लिए थी। उसने कहा कि तेल के संयुक्त आयात तथा एशियाई प्रीमियम को कम करने के लिए साझे मोलभाव की संभावनाओं पर चर्चा की गई। जापान और दक्षिण कोरिया को भी इसी तरह की पेशकश की जाएगी। सीएनपीसी और उसकी सहयोगी कंपनियां तीसरे देशों में अपने तेल क्षेत्र से उत्पादित कच्चा तेल विदेशी बाजारों में बेचती है।
चीन से तेल खरीदेगा भारत
वहीं दूसरी आेर भारत चीनी कंपनियों से सीधे कच्चा तेल खरीदने में भी दिलचस्पी जाहिर की। इससे कच्चे तेल को भारत लाने में खर्चा तो कम होगा ही। साथ भारत आैर चीन के बीच के व्यापारिक संबंध भी अच्छे होंगे। दूसरी आेर भारत में तेल की क्षमता बढने से कीमतों में भी काफी कमी आने के आसार हैं। भारत की आेर से तेल आयातकों को एक साथ लाने की यह तीसरी कोशिश है।