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आपके घर के बजट को बिगाड़ने आ रहा है अटलांटिक से समुद्री तूफान

पिछले साल जब अगस्त के आखिर और सितंबर की शुरुआत में हरिकेन हार्वी और इरमा तेजी से अमेरिका के खाड़ी तट से टकराया था तो सितंबर-अक्टूबर महीने में भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान पर पहुंच गए थे।

नई दिल्लीJun 28, 2018 / 04:46 pm

Saurabh Sharma

अमरीका का तूफान बढ़ा सकता है भारत में पेट्रोल आैर डीजल कीमतें

नर्इ दिल्ली। भले ही आेपेक देशों ने उत्पादन बढ़ाने के संकेत देकर भारत को बड़ी राहत दी हो। जिसके बाद केंद्रीय मंत्री की आेर से पेट्रोल आैर डीजल के दाम में कटौती की बात कर दी हो। लेकिन एक तूफान एेसा भी है जो भारत की इन उम्मीदों पर पानी फेर सकता है। अमरीकी समुद्र से उठने इस तूफान की धमक भारत के पेट्रोल आैर डीजल की कीमतों में जरूर सुनार्इ देगी।

ये दो तूफान बढ़ा सकते हैं पेट्रोल डीजल के दाम
पिछले साल जब अगस्त के आखिर और सितंबर की शुरुआत में हरिकेन हार्वी और इरमा तेजी से अमेरिका के खाड़ी तट से टकराया था तो सितंबर-अक्टूबर महीने में भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान पर पहुंच गए थे। दरअसल, कच्चा तेल और रिफाइन्ड उत्पादों का वैश्विक व्यापार आपस में जुड़ा हुआ है। मसलन, जब दो तूफानों से खाड़ी तट स्थित अमरीका की रिफाइनिंग कपैसिटी का एक चौथाई हिस्सा प्रभावित हो गया तो प्रॉडक्ट की ढुलाई का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर चरमरा गया था।

अमरीका में पेट्रोल डीजल की कमी
अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसी के अनुसार अमेरिका के पास वाहनों में इस्तेमाल होने वाला 20 करोड़ बैरल ईंधन के भंडार हैं। इससे अमरीका में तीन हफ्ते तक वाहनों के पहिए घूमते रह सकते हैं, लेकिन ये भंडार पेट्रोल पंपों से बहुत दूर टैंक फार्म्स में हैं। इससे जमीनी स्तर पर ईंधन की कमी हो गई। रिफाइनरियों में कामकाज शुरू होने में देर होने से ईंधन का संकट और बढ़ गया। दरअसल, दोबारा संचालन में आने के बाद भी रिफाइनरियों में क्षमता से कम उत्पादन हुआ।

इसलिए करना पड़ सकता है आयात
यही वजह है कि अमरीका को पेट्रोल-डीजल का आयात करना पड़ गया। अब जब अमरीका और ईंधन के लिए उस पर रहने वाले पड़ोसी देश जरूरी मात्रा में ईंधन की आपूर्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर हो गए तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें दुनियाभर में बढ़ गईं। यहां तक कि अमरीकी शेयर बाजार में भी ईंधन की कीमतें चढ़ गईं।

इसलिए बढ़ जाएंगी भारत में कीमतें
भारत में ईंधन की कीमत निर्धारण पद्धति अंतरराष्ट्रीय कीमतों और रुपया-डॉलर के एक्सचेंज रेट पर निर्भर करता है। इसलिए पेट्रोल-डीजल की कीमतें जरूर बढ़ जाएंगी। अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव का भारतीय बाजार पर असर और भी बढ़ चुका है क्योंकि दो साल पहले सरकारी पेट्रोल पंपों ने पाक्षिक की जगह दैनिक बदलाव का नियम लागू कर दिया।

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