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ट्रंप की नीतियों ने भारतीय वायदा बाजार की बिगाड़ी चाल, सोने-चांदी समेत कर्इ धातुआें में आर्इ कमजोरी

locationनई दिल्लीPublished: Aug 23, 2018 05:36:00 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पीली धातु पिछले करीब तीन महीने से कमजोर बनी हुई है और इस बीच इस साल के उच्चतम स्तर 1,365 डॉलर से अब तक करीब 13 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।

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ट्रंप की नीतियों ने भारतीय वायदा बाजार की बिगाड़ी चाल, सोने-चांदी समेत कर्इ धातुआें में आर्इ कमजोरी

नई दिल्ली। फेडरल रिजर्व के बयान के बाद डॉलर मजबूत होने से सोने और चांदी की चमक एक बार फिर फीकी पड़ गई है। विदेशी बाजार में महंगी धातुओं में आई गिरावट का असर गुरुवार को घरेलू वायदा बाजार में भी देखा गया। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पीली धातु पिछले करीब तीन महीने से कमजोर बनी हुई है और इस बीच इस साल के उच्चतम स्तर 1,365 डॉलर से अब तक करीब 13 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी एमसीएक्स पर अक्टूबर वायदा अनुबंध सोना अपराह्न् करीब 12.40 बजे 114 रुपये यानी 0.38 फीसदी की गिरावट के साथ 29,564 रुपये प्रति दस ग्राम पर बना हुआ था।


चांदी में अार्इ कमजोरी
वहीं, चांदी का सितंबर डिलीवरी अनुबंध 317 रुपये यानी 0.86 फीसदी की कमजोरी के साथ 36,583 रुपये प्रति किलो पर बना हुआ था। अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर 3.09 बजे ईडीटी यानी भारतीय समयानुसार 12.39 बजे सोने के दिसंबर वायदा अनुबंध में 9.50 डॉलर यानी 0.79 फीसदी की गिरावट के साथ 1,193.80 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार हो रहा था। चांदी का दिसंबर अनुबंध 0.21 डॉलर यानी 1.42 फीसदी फिसलकर 14.54 डॉलर प्रति औंस पर बना हुआ था।


डाॅलर बना सबसे सुरक्षित निवेश का जरिया
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का हाजिर भाव 8.28 डॉलर यानी 0.69 फीसदी की कमजोरी के साथ 1,187.52 डॉलर प्रति औंस था। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दर में बढ़ोतरी का संकेत देने के बाद एक बार फिर डॉलर गुरुवार को दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हो गया। डॉलर में आई तेजी से सोने और चांदी में निवेश मांग घट गई है। बाजार के जानकार बताते हैं कि अमेरिकी संरक्षणवादी नीतियों से डॉलर में सुरक्षित निवेश देखा जा रहा है। यही कारण है कि महंगी धातुओं की चमक फीकी पड़ती जा रही है। हालांकि भारतीय सर्राफा बाजार में आगे त्योहारी सीजन शुरू होने से सोने और चांदी में सुस्ती रहने की संभावना कम है क्योंकि त्योहारी सीजन में जेवराती मांग बढ़ जाती है।

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