डायनामाइट सहित पुलिस ने किया था गिरफ्तार सुरेश बघेल नाम के व्यक्ति ने अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के दौरान भूमिका निभाई थी। सुरेश बघेल आज वृन्दावन में एक साधू के वेश में रहता है और गायों की सेवा करता है। पत्रिका ने जब सुरेश बघेल से बात की तो उसने बताया कि जब अयोध्या में राम मंदिर की चली तब उसकी उम्र 23 साल की थी। इस लहर में तमाम कार सेवा करने के लिए युवा देश के कौने कौने से अयोध्या पहुंचे। इन लोगों में वृन्दावन का रहना वाला सुरेश बघेल भी था । सुरेश जब अयोध्या पहुंचा तो वहां गोली कांड हो गया। जिसके बाद इसने विवादित ढांचे को डायनामाइट लगा कर उड़ाने की ठानी। लेकिन वह विवादित ढांचे के करीब पहुंचता उससे पहले ही पुलिस ने इसको 25 डायनामाइट की छड़ सहित पकड़ लिया और जेल भेज दिया। ये मामला न्यायालय में चल ही रहा था कि तभी समाजवादी पार्टी की सरकार ने सुरेश बघेल के ऊपर हिन्दू आतंकवादी होने का आरोप लगा दिया। पांच साल की सजा पूरी होने के बाद राजनीतिक दलों की उपेक्षा के चलते सुरेश गुमनामी की जिंदगी जीने चला गया और साधू बन गया।
भाजपा और हिंदूवादी संगठनों से शिकायत हिंदुत्व की बात करने वाले राजनीतिक दल की दूरियों बढ़ने के कारण सुरेश बघेल ने सन्त का चोला धारण कर लिया और वृंदावन में रहकर गायों की सेवा शुरू कर दी। सुरेश बघेल का कहना है कि उसके दो प्रण थे जिसमें एक विवादित ढांचा गिराना जो कि गिर गया दूसरा वहां राम मंदिर बनना जो कि अभी पूरा नहीं हुआ।गुमनामी के अंधेरे में जी रहे सुरेश के मन में कसक है कि उसकी भारतीय जनता पार्टी और हिन्दू वादी दलों ने अपेक्षा की, इसीलिए सुरेश बघेल को भरोसा नहीं है कि राम मंदिर की बात करने वाले लोग राम मंदिर बनाएंगे।