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जिससे ढाई सौ से अधिक श्रद्धालुओं की तबियत बिगडने की बात सामने आई थी। एक श्रद्धालु की मौत मौके पर ही हो गई थी। एक श्रद्धालु की मौत दूसरे दिन अस्पताल में उपचार के दौरान हो गई। अभी कई श्रद्धालुओं की हालत गंभीर बनी हुई है। जिला प्रशासन की ओर से हालांकि इस घटना पर कोई अधिकृत बनाय नहीं आया। यात्रा संयोजक सुनील सिंह ने बताया कि कुछ श्रद्धालु जिनकी लम्बाई कम थी, वह इस घटना का शिकार हुए। कई रिपोर्ट में यह बात साबित हो चुकी है कि यमुना का पानी अब आचनम और स्नान करने लायक नहीं रह गया है। कई रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया है कि यह पानी सिंचाई योग्य नहीं रह गया है। ऐसे में यम द्वितीया पर यम की फांस से मुक्ति के लिए 29 अक्टूबर को हजारों भाई बहन एक दूसरे का हाथ पकड कर यमुना में डुबकी लगाएंगे। ऐसी स्थिति में जब यमुना का पानी इस लायक नहीं है कि उसका आचमन किया जा सके या स्नान किया जा सके तो फिर जिला प्रशासन को श्रद्धालुओं को किसी भी अनहोनी से बचाने के लिए समय रहते एडवाइजरी जारी करनी चाहिए। कई हिंदूवासी और धार्मिक संगठन यमुना के जहरीले पानी को लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप चुके हैं।Big News: कमलेश तिवारी के हत्यारों का मददगार अलीगढ़ का पूर्व छात्र, पिछले रिकॉर्ड खंगालने में जुटी पुलिस
जिला प्रशासन ने नहीं लिया संज्ञान
यम द्वितीया को लेकर स्नान की क्या स्थिति रहेगी। कितना पानी उपर से यमुना में छोडा जाएगा और इस पानी के मथुरा तक आने के बाद यमुना जल की विषाक्तता में कितनी कमी आएगी। क्या इस के बाद यमुना का जल आचमन और स्नान योग्य हो जाएगा। जिला प्रशासन ने यह भी अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि श्राद्धालु यमुना में सिर्फ स्नान कर सकते हैं या आचमन भी कर सकते हैं। इस तरह यमुना के घाटों पर इस तरह के कोई चेतावनी देने वाले या एडवाइज देने वाले बोर्ड या होर्डिंग नहीं लगाये हैं। यह भी पढ़ें– प्रदूषण मुक्त दीवाली के लिए इन बच्चों ने इस अंदाज में की अपील, देखें तस्वीरें तो हादसे के बाद जागेगा प्रशासन
ब्रजयात्रा के दौरान हुए हादसे से किसी तरह का कोई सबक नहीं लिया है। अगर ब्रज यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की तबियत बिगडने का वास्तविक कारण यमुना जल का आचमन रहा है तो जिला प्रशासन को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए था। पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुक्रवार को धनतेरस से शुरूआत हो गई। भैया दौज यानी यम द्वितीया के साथ समापन होगा।