ये है कहानी (Story of Bhai Dooj)
मंदिर में खड़े होकर प्रार्थना कर रहे ये सभी महिला और पुरुष भाई-बहन है और जिस मंदिर में ये खड़े है । वो यमराज का मंदिर है। जी हां चौकिये मत वही यमराज जिनके नाम से सभी की रूह कांप उठती है और मौत का डर सताने लगता है, लेकिन आज ये सभी भाई-बहन उसी यमराज की पूजा कर रहे हैं । मौका है यम्-द्वितीया का, जिसे भाई-दूज भी कहा जाता है। इस दिन मथुरा के विश्राम घाट पर एक विशेष स्नान होता है, जिसमे लाखों भाई-बहन एक साथ मिलकर यमुना के जल में स्नान करते हैं और घाट पर ही स्थित यमुना-यमराज मंदिर में पूजा कर मोक्ष-प्राप्ति की कामना करते हैं। इस स्नान की मान्यता है कि जब सूर्य-पुत्र यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने यहां आये तो यमुना जी ने उनका खूब आदर-सत्कार किया और दोनों ने इसी विश्राम घाट पर स्नान किया था। इससे प्रसन्न हो यमराज ने अपनी बहन से वरदान मांगने को कहा तो यमुना जी ने वरदान मांगा कि इस दिन इस घाट पर जो भाई-बहन मेरे जल से स्नान करेंगे, उनके सारे पाप दूर होकर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी ।
मंदिर में खड़े होकर प्रार्थना कर रहे ये सभी महिला और पुरुष भाई-बहन है और जिस मंदिर में ये खड़े है । वो यमराज का मंदिर है। जी हां चौकिये मत वही यमराज जिनके नाम से सभी की रूह कांप उठती है और मौत का डर सताने लगता है, लेकिन आज ये सभी भाई-बहन उसी यमराज की पूजा कर रहे हैं । मौका है यम्-द्वितीया का, जिसे भाई-दूज भी कहा जाता है। इस दिन मथुरा के विश्राम घाट पर एक विशेष स्नान होता है, जिसमे लाखों भाई-बहन एक साथ मिलकर यमुना के जल में स्नान करते हैं और घाट पर ही स्थित यमुना-यमराज मंदिर में पूजा कर मोक्ष-प्राप्ति की कामना करते हैं। इस स्नान की मान्यता है कि जब सूर्य-पुत्र यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने यहां आये तो यमुना जी ने उनका खूब आदर-सत्कार किया और दोनों ने इसी विश्राम घाट पर स्नान किया था। इससे प्रसन्न हो यमराज ने अपनी बहन से वरदान मांगने को कहा तो यमुना जी ने वरदान मांगा कि इस दिन इस घाट पर जो भाई-बहन मेरे जल से स्नान करेंगे, उनके सारे पाप दूर होकर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी ।
मोक्ष की होती है प्राप्ति
यमराज का एक मात्र मंदिर है जो इसी विश्राम घाट पर है और स्नान के बाद सभी भाई-बहन इस मंदिर में यमराज की पूजा कर अपने पापों का प्रायश्चित करते है। यही वजह है कि मोक्ष प्राप्ति की कामना के साथ यहां देश-विदेश से लाखों भाई-बहन इस दिन स्नान करने पहुंचते हैं। सुबह चार बजे से शुरू होने वाला यम्-द्वितीया स्नान देर शाम तक चलता है इस बार भाई-दूज दो दिन होने की वजह से कल भी ये विशेष स्नान होगा।
यमराज का एक मात्र मंदिर है जो इसी विश्राम घाट पर है और स्नान के बाद सभी भाई-बहन इस मंदिर में यमराज की पूजा कर अपने पापों का प्रायश्चित करते है। यही वजह है कि मोक्ष प्राप्ति की कामना के साथ यहां देश-विदेश से लाखों भाई-बहन इस दिन स्नान करने पहुंचते हैं। सुबह चार बजे से शुरू होने वाला यम्-द्वितीया स्नान देर शाम तक चलता है इस बार भाई-दूज दो दिन होने की वजह से कल भी ये विशेष स्नान होगा।