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रेल बस
मथुरा और वृंदावन ब्रज के केन्द्र में स्थित हैं। मथुरा आने वाले श्रद्धालु वृंदावन अवश्य आते हैं। लगभग 12 किलोमीटर लम्बे मथुरा वृंदावन रेलवे सिंगल ट्रैक जो वर्तमान में मीटर गेज है, कुछ वर्ष पूर्व इस ट्रैक पर एक डिब्बे की रेल बस चलाई गयी थी, जो कई वर्ष बंद रहने के बाद एक माह से पुनः चालू की गई है। यह ट्रेन जनता के लिए अनुपयोगी साबित हो रही है। इस रेलमार्ग पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि, महाविद्यालय, चित्रकूट, बिरलामंदिर, पागल बाबा मंदिर आदि दर्शनीय स्थल पड़ते हैं। इसके अलावा वृंदावन के सभी मंदिरों के लिए इस मार्ग से पहुंचा जा सकता है। मथुरा जंक्शन से इस 12 किलोमीटर लम्बे मार्ग का सीधा जुड़ाव है और रेल बस मथुरा जंक्शन स्टेशन से ही वृंदावन के लिए चलती है।
रेल बस
मथुरा और वृंदावन ब्रज के केन्द्र में स्थित हैं। मथुरा आने वाले श्रद्धालु वृंदावन अवश्य आते हैं। लगभग 12 किलोमीटर लम्बे मथुरा वृंदावन रेलवे सिंगल ट्रैक जो वर्तमान में मीटर गेज है, कुछ वर्ष पूर्व इस ट्रैक पर एक डिब्बे की रेल बस चलाई गयी थी, जो कई वर्ष बंद रहने के बाद एक माह से पुनः चालू की गई है। यह ट्रेन जनता के लिए अनुपयोगी साबित हो रही है। इस रेलमार्ग पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि, महाविद्यालय, चित्रकूट, बिरलामंदिर, पागल बाबा मंदिर आदि दर्शनीय स्थल पड़ते हैं। इसके अलावा वृंदावन के सभी मंदिरों के लिए इस मार्ग से पहुंचा जा सकता है। मथुरा जंक्शन से इस 12 किलोमीटर लम्बे मार्ग का सीधा जुड़ाव है और रेल बस मथुरा जंक्शन स्टेशन से ही वृंदावन के लिए चलती है।
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मथुरा-वृंदावन ट्रैक का विकास जरूरी
वृंदावन रेलवे स्टेशन लगभग अपने आधुनिक रूप में तैयार है। यहां कम्प्यूटराइज्ड आरक्षण सुविधा भी उपलब्ध है। जबकि मथुरा जक्शन रेलवे स्टेशन को विश्वस्तरीय और देश के चुनिंदा स्टेशों में शुमार के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। अब इन दो स्टेशनों के बीच स्थित इस 12 किलोमीटर लम्बे ट्रैक का विकास अति आवश्यक हो जाता है, लेकिन अभी तक इस पर किसी स्तर से कोई काम नहीं हुआ है।
मथुरा-वृंदावन ट्रैक का विकास जरूरी
वृंदावन रेलवे स्टेशन लगभग अपने आधुनिक रूप में तैयार है। यहां कम्प्यूटराइज्ड आरक्षण सुविधा भी उपलब्ध है। जबकि मथुरा जक्शन रेलवे स्टेशन को विश्वस्तरीय और देश के चुनिंदा स्टेशों में शुमार के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। अब इन दो स्टेशनों के बीच स्थित इस 12 किलोमीटर लम्बे ट्रैक का विकास अति आवश्यक हो जाता है, लेकिन अभी तक इस पर किसी स्तर से कोई काम नहीं हुआ है।
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इस रेलवे ट्रैक के साथ साथ कई सरकारी और रेलवे के बड़े भूखण्ड भी जुड़े हुए हैं। ट्रैक के आसपास भी काफी जगह है। जनसहयोग समूह के संयोजक अजय कुमार अग्रवाल का कहना है कि इस ट्रैक को ब्रजविरासत गलियारे के तौर पर विकसित किया जा सकता है। राजधानी दिल्ली के नजदीक होने से मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन से कई महत्वपूर्ण ट्रेन गुजरती हैं। देश और विदेश से आने वाले श्रद्धालु पहले मथुरा ही आते हैं। वह वृंदावन पहुंचते पहुंचते इस गलियारे के माध्यम से यात्रा के दौरान ही बहुत हद तक बृज को समझ लेंगे, जबकि उन्हें यातायात में भी सुविधा रहेगी।
इस रेलवे ट्रैक के साथ साथ कई सरकारी और रेलवे के बड़े भूखण्ड भी जुड़े हुए हैं। ट्रैक के आसपास भी काफी जगह है। जनसहयोग समूह के संयोजक अजय कुमार अग्रवाल का कहना है कि इस ट्रैक को ब्रजविरासत गलियारे के तौर पर विकसित किया जा सकता है। राजधानी दिल्ली के नजदीक होने से मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन से कई महत्वपूर्ण ट्रेन गुजरती हैं। देश और विदेश से आने वाले श्रद्धालु पहले मथुरा ही आते हैं। वह वृंदावन पहुंचते पहुंचते इस गलियारे के माध्यम से यात्रा के दौरान ही बहुत हद तक बृज को समझ लेंगे, जबकि उन्हें यातायात में भी सुविधा रहेगी।
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ब्रज चौरासी कोस यात्रा को है विकास का इंतजार
ब्रज चौरासी कोस यात्रा विश्व प्रसिद्ध है। अयोध्या में भी चौरासी कोसी यात्रा है। अयोध्या की चौरासी कोसी यात्रा के विकास की बात हो रही हैं लेकिन ब्रज चौरासी कोसी यात्रा पर अभी तक काम नगण्य ही रहा है। यहां तक कि श्रद्धालुओं के लिए पानी तक यात्रा के दौरान नहीं है। पड़ाव स्थल लगभग गुम हो चुके हैं। परिक्रमार्थी रात के समय घोर अंधेरे में घिर जाते हैं। यहां तक कि कई स्थानों पर तो यहां तक तय नहीं है कि यात्रा का मार्ग कौन सा है। यात्रियों को पानी में होकर गुजरना पड़ता है या नाव का सहारा लेना पड़ता है।
ब्रज चौरासी कोस यात्रा को है विकास का इंतजार
ब्रज चौरासी कोस यात्रा विश्व प्रसिद्ध है। अयोध्या में भी चौरासी कोसी यात्रा है। अयोध्या की चौरासी कोसी यात्रा के विकास की बात हो रही हैं लेकिन ब्रज चौरासी कोसी यात्रा पर अभी तक काम नगण्य ही रहा है। यहां तक कि श्रद्धालुओं के लिए पानी तक यात्रा के दौरान नहीं है। पड़ाव स्थल लगभग गुम हो चुके हैं। परिक्रमार्थी रात के समय घोर अंधेरे में घिर जाते हैं। यहां तक कि कई स्थानों पर तो यहां तक तय नहीं है कि यात्रा का मार्ग कौन सा है। यात्रियों को पानी में होकर गुजरना पड़ता है या नाव का सहारा लेना पड़ता है।
मथुरा, वृंदावन परिक्रमा मार्ग बदहाल
मथुरा और वृंदावन के अपने परिक्रमा मार्ग हैं। दोनों ही परिक्रमाओं का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। श्रद्धालु बेहद श्रद्धा के साथ परिक्रमा करने आते हैं लेकिन दोनों ही परिक्रमा मार्ग का बेहद खराब है। प्रकाश की व्यवस्था तक नहीं है।
मथुरा और वृंदावन के अपने परिक्रमा मार्ग हैं। दोनों ही परिक्रमाओं का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। श्रद्धालु बेहद श्रद्धा के साथ परिक्रमा करने आते हैं लेकिन दोनों ही परिक्रमा मार्ग का बेहद खराब है। प्रकाश की व्यवस्था तक नहीं है।
जन सहयोग समूह ने तैयार किया खाका
जनसहयोग समूह ने ब्रजतीर्थ विकास परिषद को मथुरा वृंदावन के बीच बिछी 12 मिलोमीटर लम्बी रेलवे लाइन और इसके आसपास के क्षेत्रों के विकास, रेलवे ट्रैक पर बनने वाले नये स्टेशनों तथा ठहराव स्थलों के अलावा ट्रेन के स्वरूप व कॉरीडोर का खाका खींच कर ब्रजतीथ्र विकास परिषद, रेलवे बोर्ड के आलवा प्रदेश सरकार तथा दूसरे मंत्रालयों को भेजा है।
जनसहयोग समूह ने ब्रजतीर्थ विकास परिषद को मथुरा वृंदावन के बीच बिछी 12 मिलोमीटर लम्बी रेलवे लाइन और इसके आसपास के क्षेत्रों के विकास, रेलवे ट्रैक पर बनने वाले नये स्टेशनों तथा ठहराव स्थलों के अलावा ट्रेन के स्वरूप व कॉरीडोर का खाका खींच कर ब्रजतीथ्र विकास परिषद, रेलवे बोर्ड के आलवा प्रदेश सरकार तथा दूसरे मंत्रालयों को भेजा है।
उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के बोल
संपूर्ण परिक्रमा मार्ग को चिन्हित कर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाय एवं ऐसे अतिक्रमणों को हटाया जाय जिससे तीर्थ यात्रियों एवं यातायात में बाधा उत्पन्न होती हैं। उन्होंने कहा कि भीड़युक्त मार्गों एवं मन्दिरों के आस-पास क्षेत्रों पर जिन लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है उसे तत्काल हटवा दें, लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि किसी गरीब व्यक्ति को परेशानी न हो।
वर्जन
जन सहयोग समूह के संयोजक का कहना है कि ब्रज विरासत कारीडोर बनने से जहां जमीन का संरक्षण होगा वहीं मथुरा से वृंदावन पहुंचने के बीच ही लोगों को ब्रज की विरासत का अनुभव भी हो जाएगा। साथ ही श्रद्धालुओं और तीर्थ यात्रियों को सुंदर ब्रज के दर्शन भी होंगे। अभी ब्रज का जिस तरह से विकास हो रहा है, उससे ब्रज विरासत को नुकसान ही पहुंच रहा है।
संपूर्ण परिक्रमा मार्ग को चिन्हित कर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाय एवं ऐसे अतिक्रमणों को हटाया जाय जिससे तीर्थ यात्रियों एवं यातायात में बाधा उत्पन्न होती हैं। उन्होंने कहा कि भीड़युक्त मार्गों एवं मन्दिरों के आस-पास क्षेत्रों पर जिन लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है उसे तत्काल हटवा दें, लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि किसी गरीब व्यक्ति को परेशानी न हो।
वर्जन
जन सहयोग समूह के संयोजक का कहना है कि ब्रज विरासत कारीडोर बनने से जहां जमीन का संरक्षण होगा वहीं मथुरा से वृंदावन पहुंचने के बीच ही लोगों को ब्रज की विरासत का अनुभव भी हो जाएगा। साथ ही श्रद्धालुओं और तीर्थ यात्रियों को सुंदर ब्रज के दर्शन भी होंगे। अभी ब्रज का जिस तरह से विकास हो रहा है, उससे ब्रज विरासत को नुकसान ही पहुंच रहा है।