scriptजिस स्वास्थ्य उपकेन्द्र का उद्घाटन मंत्री Chaudhary lakshmi Narayan ने किया था, उसमें भैंस का प्रसव | Buffalos delivery in Government Hospital inaugurated by up Minister | Patrika News

जिस स्वास्थ्य उपकेन्द्र का उद्घाटन मंत्री Chaudhary lakshmi Narayan ने किया था, उसमें भैंस का प्रसव

locationमथुराPublished: Jul 24, 2019 02:23:18 pm

-4जून, 2011 को छाता के गांव सहार में हुआ था उद्घाटन, नहीं हुआ चालू-बेघर ग्रामीणों ने आवास बाना लिए और भैंसें बांध रहे, कहीं उपले थापे जा रहे-अब एंटी भूमाफिया अभियान के तहत कार्रवाई करने जा रहा स्वास्थ्य विभाग

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जिस स्वास्थ्य उपकेन्द्र का उद्घाटन मंत्री Chaudhary lakshmi Narayan ने किया था, उसमें भैंस का प्रसव

मथुरा। 4 जून 2011 उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण (Chaudhary lakshmi Narayan) ने अपने निर्वाचन क्षेत्र छाता विधानसभा क्षेत्र (Chhata constituency) के गांव सहार मंa इंसानों के लिए जिस उपस्वास्थ्य केन्द्र (Primary Health center) का उद्घाटन किया था, उसी उपस्वास्थ्य केन्द्र के लेबर रूम में 23 जुलाई 2019 को भैंस का प्रसव हो रहा था। उद्घाटन में उस समय विधान परिषद सदस्य रहे मंत्री के भाई लेखराज सिंह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (Chief medical officer) भी मौजूद थे।
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आठ साल में भी एएनएम भी न आई
इन आठ साल में आठ दिन भी उपस्वास्थ्य केन्द्र पर कोई गतिविधि नहीं हुई। यहां तक एनएएम (ANM) भी यहां नहीं बैठीं। चौधरी लक्ष्मीनरायण वर्तमान में भी प्रदेश सरकार में कद्दावर मंत्री हैं। स्वास्थ्य केन्द्र के उद्घाटन के बाद किसी ने इस ओर मुड़कर नहीं देखा। प्रदेश की तमाम स्वास्थ्य योजनाओं का हाल सहार के प्राथमिक उपस्वास्थ्य केन्द्र जैसा ही है। योजना की घोषण की घोषणा बड़े जोर-शोर से होती है लेकिन उसके बाद क्या हुआ, किसी को कुछ पता नहीं चलता। न योजना की घोषणा करने वालों को और न ही योजना के लाभार्थियों को।
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ग्रामीणों ने किया कब्जा
स्वास्थ्य केन्द्रों की ओर ध्यान नहीं दिये जाने से इन पर ग्रामीणों के कब्जे हो गये हैं। उपस्वास्थ्य केन्द्रों में कहीं भैंस बंधी हैं तो कहीं उपले भरे हैं। ऐसा ही नजारा देखने को मिला गोवर्धन तहसील के सहार गांव में, जहां सामुदायिक केंद्रों पर भैस बंधी हुई थीं। जी हां आप सुन बड़े हैरान होंगे मगर चिकित्सा के नाम पर सहार व उसके आसपास के गांव के लोगों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है।
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मथुरा में 125 स्वास्थ्य उपकेन्द्र
मथुरा जनपद की कुल जनसंख्या 18 लाख से उपर है। जनपद में 125 उपस्वास्थ्य केन्द्र हैं। सीएमओ के मुताबिक, इन पर चिकित्सक तैनात नहीं रहते हैं, ये एएनएम के हवाले हैं। जनपद में करीब 200 एएनएम हैं। एनएनएम के हिस्से दूसरे काम भी है। इस काम में कम संख्या में ही एएनएम को लगाया गया है। एक एएनएम के हिस्से में दो से तीन उपस्वास्थ्य केन्द्र यानी 8 से 10 गांव आते हैं। हालांकि 125 उपस्वास्थ्य केन्द्र जनपद में कार्यरत हैं। स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात एएनएम के बैठने के लिए कोई जगह नहीं। ये एएनएम इधर उधर बैठकर अपने काम की खानापूर्ति करती हैं।
वीवीआईपी राजनेताओं की भरमार के बाद भी बदहाली
वीवीआईपी सांसद हेमा मालिनी (Hema malini), उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा (Shrikant sharma), प्रदेश सरकार में कद्दावर मंत्री चौधरी लक्ष्मीनरायण, सहकारी बैंक के चेयरमैन तेजवीर सिंह (Tejveer singh), व्यापारी कल्याण बोर्ड उत्तर प्रदेश के चेयरमैन रविकांत गर्ग (Ravi kant garg) की तूती सरकार में बोल रही है। ये सभी मथुरा से हैं। इतना ही नहीं, यहां आने वाला हर अधिकारी ब्रजवासियों की सेवा का दम्भ भरता है, इसके बावजूद धरातल पर हालत बद से बदतर हैं। जनपद को अगर लावारिस भी छोड़ दिया जाये तो हालत इससे ज्यादा खराब नहीं हो सकते। कर्ताधर्ताओं ने योजनाओं के उद्घाटन का पत्थर लगा दिया और हो गया काम।
देखरेख के लिए आते हैं 2.4 लाख रूपये रुपये
विभिन्न मदों में इन स्वास्थ्य केन्द्रों के रखरखाव के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारी को 2.4 लाख रुपये मिलते हैं। एएनएम और प्रधान के संयुक्त खाते में भी दस हजार पहुंचते हैं। सवाल उठता है, जब सबसेंटर धरातल पर संचालित ही नहीं हैं तो यह पैसा कहां जाता है। एसीएमओ पीके गुप्ता का कहना है कि प्रधान इस पैसे को निकाल लेते हैं। हम प्रधान से बिगाड़ कर गांव में सेंटर नहीं चला सकते।
विभाग कर रहा बेघरों को भूमाफिया साबित करने की तैयारी
वर्षों से लावारिस पडे इन सब सेंटरों को बेहद गरीब और लाचार ग्रामीण उपयोग में ले लेते हैं। यह विभाग की लापरवाही है। अगर विभागीय कर्मचारी यहां नियमित पहुंचते तो इन सेंटरों पर कब्जे की नौबत ही नहीं आती। अब विभाग इन बेघर लोगों पर एंटी भू माफिया स्क्वायड के तहत कार्यवाही कराने की बात कर रहा है।
धनराशि का हो रहा है बंदरबांट
सीएमओ कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि कोई नहीं चाहता कि विभाग के सभी सेंटर चलें। अगर सेंटर चलेंगे तो इन पर खर्चा भी होगा। उपर से मिलने वाली धनराशि का बंदरबांट हो रहा है। तीस प्रतिशत पैसा तो सीएमओ कार्यालय में हजम हो जाता है।
शासन को रिपोर्ट भेज दी है
मथुरा के प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.पीके गुप्ता का कहना है कि देहात में जो सब सेंटर हैं उनकी हालत खराब है, कहीं उपले थपे हैं तो कहीं भैंस बंधी है। शासन ने 2016 से कोई धनराशइ नहीं मिली है। जिन स्वास्थ्य केन्द्रों पर कब्जे हैं, उन्हें एंटी भू माफिया स्क्वायड के माध्यम से खाली कराया जाएगा। जल्द ही सुधरे हुए हालात देखने को मिलेंगे। इन सेंटरों की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।
इनपुटः सुनील शर्मा, मथुरा
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