कृष्ण बलराम का हुआ इस मंदिर में मुंडन कान्हा की नगरी मथुरा में जन्म स्थान से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर महाविद्या माता का मंदिर है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है और इसकी मान्यता है कि जो भी यहां आता है वह खाली नहीं जाता। उसकी जो भी मनोकामना है वह पूर्ण होती है। बता दें कि इस मंदिर की जो मान्यता है वह भगवान श्री कृष्ण और उनके बड़े भाई बलदाऊ से जुड़ी हुई है। महाविद्या देवी भगवान श्रीकृष्ण की कुलदेवी का मंदिर कहा जाता है। यहीं इसी मंदिर पर भगवान श्री कृष्ण का और उनके बड़े भाई का मुंडन हुआ था। कई समाजों की कुलदेवी होने के कारण यहां अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है और यहां दूर-दूर से लोग आकर माता के चरणों में शीश झुकाकर उन से आशीर्वाद लेते हैं और अपने मंगलमय जीवन की कामना करते हैं। महाविद्या माता मंदिर के सेवायत पुजारी कन्हैया लाल चतुर्वेदी ने बताया कि यह मंदिर काफी प्राचीन है और इस मंदिर में कृष्ण और बलराम का मुंडन हुआ था। इस मंदिर में जो भी आता है वह खाली नहीं जाता, उसे मां महाविद्या कुछ न कुछ जरूर देती हैं और इसी कारण से यह मंदिर हमेशा भरा रहता है। चैत्र नवरात्रि शुरू होते ही मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। बताया जाता है कि यह मंदिर 5000 वर्ष पुराना है। इस मंदिर से होते हुए अक्षय नवमी की परिक्रमा और एकादशी की परिक्रमा देने के लिए लोग आते हैं। दिल्ली मुंबई भरतपुर जयपुर के लोग भी यहां मां महाविद्या के सामने माथा टेकने आते हैं और मां का आशीर्वाद लेते हैं ।
दूर दूर से आते हैं भक्त नवरात्र के पहले दिन पूजा करने आए भक्त धर्मेश तिवारी ने बताया मैं महाविद्या मंदिर में दर्शन करने आया हूं। बहुत ही प्राचीन मंदिर है और मंदिर में आकर मैंने विधि विधान से पूजा की। माता के दर्शन कर सुख की प्राप्ति होती है।