थाना गोविंद नगर क्षेत्र की कॉलोनी में रह रहे एक मजदूर ने अपनी ही 15 वर्षीय बेटी के साथ दुष्कर्म किया था। मां को उस समय जानकारी हो सकी, जब बेटी गर्भवती हो गई। महिला ने 4 मई 2019 को इस संबंध में थाना गोविंद नगर में अपने पति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश पॉक्सो-2 जहेंद्र पाल सिंह ने पीड़िता के आरोपी पिता को दोषी पाया। सोमवार को दोषी पिता को आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई। अदालत ने उस पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड की संपूर्ण धनराशि पीड़िता को दी जाएगी। एडीजीसी सुभाष चतुर्वेदी ने बताया कि वारदात के बाद से ही अभियुक्त जेल में था। अदालत ने सजा का वारंट जेल भिजवाया है।
न्यायालय के आदेश पर पुत्री का गर्भपात कराने के लिए सीएमओ के निर्देशन में टीम का गठन किया गया। टीम ने न्यायालय को रिपोर्ट दी कि यदि गर्भपात कराया गया तो बेटी के जीवन को खतरा हो सकता है। इसे देखते हुए पुत्री ने पिता के दुष्कर्म से पैदा हुए बच्चे को जन्म दिया। एडीजीसी ने बताया कि जब मामला संज्ञान में आया तो उस समय पुत्री 28 सप्ताह 6 दिन की गर्भवती थी। एक तरफ पति और दूसरी तरफ बेटी को इंसाफ दिलाने की जिम्मेदारी। मां ने पति की परवाह न करते हुए आरोपी पति के विरुद्ध न केवल मुकदमा दर्ज कराया बल्कि उसमें पूरी पैरवी भी की।