scriptचुनाव में भूले ‘गोमाता’ की सुध, 43 डिग्री में झुलसीं, भूखी प्यासी तोड़ रहीं दम | Cows Dying due to heat and hunger in Open Goshala | Patrika News

चुनाव में भूले ‘गोमाता’ की सुध, 43 डिग्री में झुलसीं, भूखी प्यासी तोड़ रहीं दम

locationमथुराPublished: Apr 26, 2019 07:41:44 pm

-गांवों में खोली गईं गोशालाएं एक एक कर हो रहीं बंद
-जनवरी में आनन फानन में तैयार की गई गाइड लाइन बनी गायों का काल
-ग्राम प्रधान बोले झूठ बोल कर खुलवा दीं गोशाला, नहीं दिया अनुदान

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चुनाव में भूले ‘गोमाता’ की सुध, 43 डिग्री में झुलसीं, भूखी प्यासी तोड़ रहीं दम

मथुरा। कहा जाता है कि सर्दी से बचने के लिए भेजे जाने वाले सरकारी कंबल लोगों को गर्मी के मौसम में मिल पाते हैं। यही सरकारी ढर्रा बेजुबान गायों के लिए मौत का सामान बन गया है। खेतों को चर रहीं आवारा गायों से किसानों में पैदा हुए आक्रोश को देखते हुए शासन स्तर से आनन फानन में ग्राम पंचायतों को अस्थाई गोशाला खोलने का निर्देश दिया गया था। यह निर्देशष जनवरी में जारी हुआ। जनवरी के तापमान को देखते हुए गोशालाओं के लिए शासन स्तर से गाइड लाइन जारी की गई थी। गोशाला की आड़ में भू माफिया ग्राम पंचायत की जमीन न कब्जा लें इसे भी ध्यान में रखा गया।
टीन शेड भी नहीं

ग्राम पंचायत सेलखेड़ा प्रधान प्रतिनिधि शीशो पहलवान व ग्राम अकोश के प्रधान ओमवीर सिंह ने बताया कि अस्थाई गोशाला खोलने के लिए शासन की ओर से जो गाइड लाइन जारी की गई थी । उसके हिसाब से गायों के 42 डिग्री तापमान में जिंदा रखना मुश्किल है। गाइड लाइन है कि खुले में गोशाला के चारों तरफ गहरी खाई खोद कर गायों को रखा जाए। जनवरी के महीने में अस्थाई रूप से यह गोशालाएं खोली गईं थी। टीन शेड भी नहीं डलवाया जा सकता। किसी तरह का काई पक्का निर्माण भी नहीं कराया जा सकता है।
भूख प्यास से तड़प कर मर रहीं

अधिकांश गांवों में खोली गईं अस्थाई गोशालाओं में गाय भूख प्यास से मर रही हैं वहीं 43 डिग्री तापमान में खुले आसामन के नीचे पूरे दिन रहने को अभिशप्त हैं। अपने स्तर से कई महीने तक गायों के लिए चारे पानी की व्यवस्था करते रहीं ग्राम पंचायतों ने भी मजबूरी में हाथ पीछे खींच लिए हैं। कई गावों में अस्थाई गोशालाओं में रखी गई गायों को छोड़ दिया गया है। जहां छोड़ा नहीं गया है वहां गाय गोशालाओं में भूख प्यास से तड़प कर मर रही हैं।
आये दिन गाय मर रहीं

यह हालत दाउबाबा के धाम से लेकर कान्हा के गांव तक है। यहां तक कि जिन गोशालाओं को आदर्श गोशाला बताया गया था, प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र सिंह, प्रमुख सचिव कृषि राधामोहन, जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र जैसे अधिकारियों ने जिन गोशालाओं में पहुंच कर फोटो खिंचावाये तथा सरकार और ग्रामीणों के प्रयासों के कसीदे पढ़े थे उन गोशालाओं में ही तीन से चार महीने में ही गाय बद से बद्तर हालत में पहुंच गई हैं। आये दिन गाय मर रही हैं।
ग्रामीणों में आक्रोश

ग्रामीणों में आक्रोश है लेकिन कुछ कर रहीं पा रहे हैं। ग्राम प्रधानों का कहना है कि मजबूरी में हाथ पीछे खींचना पड़ा है। गर्मी बढ़ रही है। खुले में गाय गर्मी से तड़प तड़प कर भूखी प्यासी दम तोड़ रही हैं।
भूसे के भाव छू रहे आसमान, 30 रूपये में कैसे चले काम

मथुरा। भूसे के भाव इस बार आसमान छू रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी कि किसानों ने इस बार गायों के आतंक से परेशान होकर बड़ी संख्या में आलू की फसल की। जिसकी वजह से गेहूं का रकबा कम हुआ। इतना ही नहीं महंगी मजदूरी से बचने के लिए किसानों से केपास से गेहूं की कटाई करा दी जिससे भूसा कम उत्पादित हुआ है। ग्राम पंचायत प्रधान ने बताया कि 30 रूपये प्रति गाय के हिसाब से गोशालाओं को आर्थिक मदद दिये जाने की बात हुई थी। गोशाला को एक दो महीने का पैसा शासन की ओर से भेज भी दिया गया था। इसके बाद कोई किश्त नहीं मिली। मजबूरी में गायों को छोड़ना पड़ा है।

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