चीन के बारे में
धर्मगुरु दलाई लामा दो दिवसीय दौरे पर आए हुए हैं। सोमवार को रमणरेती स्थित आश्रम में संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। उन्होंने मीडिया से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश है। हिन्दुस्तान भी जनसंख्या के मामले में दूसरे नंबर पर आता है और दोनों ही पड़ोसी राज्य हैं। चीन में बौद्ध धर्म और नालंदा सभ्यता को लेकर लोग अध्ययन करते हैं, जबकि भारत में भी नालंदा सभ्यता के बौद्ध धर्म को मानने वाले बड़ी संख्या में लद्दाख और कई जगह पर नालंदा प्रगति को लेकर लोग अध्ययन करते रहते हैं। मगर भारत ऐसा देश है जहां करुणा और मैत्री को लेकर दुनिया को हजारों सालों से मानवता का संदेश देता रहा है।
धर्मगुरु दलाई लामा दो दिवसीय दौरे पर आए हुए हैं। सोमवार को रमणरेती स्थित आश्रम में संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। उन्होंने मीडिया से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश है। हिन्दुस्तान भी जनसंख्या के मामले में दूसरे नंबर पर आता है और दोनों ही पड़ोसी राज्य हैं। चीन में बौद्ध धर्म और नालंदा सभ्यता को लेकर लोग अध्ययन करते हैं, जबकि भारत में भी नालंदा सभ्यता के बौद्ध धर्म को मानने वाले बड़ी संख्या में लद्दाख और कई जगह पर नालंदा प्रगति को लेकर लोग अध्ययन करते रहते हैं। मगर भारत ऐसा देश है जहां करुणा और मैत्री को लेकर दुनिया को हजारों सालों से मानवता का संदेश देता रहा है।
स्कूलों में करुणा, मैत्री, मानवता का पाठ पढ़ाया जाए
उन्होंने कहा कि अगर आप करुणा और अहिंसा पर बल देते हैं तो आपको बहुत कुछ प्राप्त हो जाएगा। भारत विश्व गुरु होने के नाते पूरी दुनिया को करुणा और मैत्री के साथ मानवता का संदेश दे रहा है। हत्यारों को छोड़कर उन सभी को प्रेम के साथ रहने की शुरुआत भारत को अपनी तरफ से करनी चाहिए, क्योंकि भारत में इतनी क्षमता है कि वह इस कार्य को कर सकता है। दलाई लामा ने कहा कि छात्रों की शुरू की शिक्षा से लेकर यूनिवर्सिटी तक सभी को करुणा, मैत्री, मानवता और मिलजुल कर विकास करने का पाठ पढ़ाया जाना अति आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि अगर आप करुणा और अहिंसा पर बल देते हैं तो आपको बहुत कुछ प्राप्त हो जाएगा। भारत विश्व गुरु होने के नाते पूरी दुनिया को करुणा और मैत्री के साथ मानवता का संदेश दे रहा है। हत्यारों को छोड़कर उन सभी को प्रेम के साथ रहने की शुरुआत भारत को अपनी तरफ से करनी चाहिए, क्योंकि भारत में इतनी क्षमता है कि वह इस कार्य को कर सकता है। दलाई लामा ने कहा कि छात्रों की शुरू की शिक्षा से लेकर यूनिवर्सिटी तक सभी को करुणा, मैत्री, मानवता और मिलजुल कर विकास करने का पाठ पढ़ाया जाना अति आवश्यक है।
झगड़ों को रोके भारत
उन्होंने चिन्ता जताते हुए कहा कि आज आधुनिक भारत के दौर में लोग भी पाश्चात्य संस्कृति की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं, जबकि यहां के लोगों को अपनी अर्थव्यवस्था और आंतरिक विकास के ऊपर अध्ययन करना चाहिए। हिन्दुस्तान में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो छोटे-छोटे हिन्दू-मुस्लिम के झगड़े जैसे शिया-सुन्नी धर्म के लोग आपस में झगड़ा करते हैं जोकि अनुचित है और भारत को ऐसे झगड़ों को रोकने की जरूरत है।
उन्होंने चिन्ता जताते हुए कहा कि आज आधुनिक भारत के दौर में लोग भी पाश्चात्य संस्कृति की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं, जबकि यहां के लोगों को अपनी अर्थव्यवस्था और आंतरिक विकास के ऊपर अध्ययन करना चाहिए। हिन्दुस्तान में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो छोटे-छोटे हिन्दू-मुस्लिम के झगड़े जैसे शिया-सुन्नी धर्म के लोग आपस में झगड़ा करते हैं जोकि अनुचित है और भारत को ऐसे झगड़ों को रोकने की जरूरत है।