जिन गायों को भगवान श्रीकृष्ण अपने आप से भी ज्यादा प्यार और दुलार करते थे आज उन्ही की गाय भूख से तड़प तड़प कर अपनी जान दे रही है। सरकार के द्वारा करोड़ों रूपये गायों के ऊपर खर्च किये गए ताकि गायों की भूख को दूर किया जा सके। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के द्वारा प्रदेश में कान्हा पशु आश्रय के नाम से गौशालाओं का निर्माण कराया गया ताकि बेसहारा गौवंश भूखा न इधर उधर भटके लेकिन आज भी गाय चारे के तलाश में भटक रही है। कान्हा पशु आश्रय योजना के तहत गोकुल नगर पंचायत को भी करोड़ों रूपये दिए गए। नगर पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित के द्वारा गौशाला निर्माण पूरा होने के बाद गौशाला में गायों को रख दिया गया। गौशाला में गाय भूख से तड़प तड़प कर अपनी जान से रही है। गौशाला में कार्यरत कर्मचारियों से बात की तो उन्होंने बताया की गौशाला में भूसे का स्टॉक है इसके साथ साथ उन्होंने ये भी बताया की चुनी,चोकर ,गुड़ भी इनको दिया जाता है।
टीम ने जब गोकुल नगर पंचायत के पीछे बनी कान्हा पशु आश्रय गौशाला का रियलिटी चेक किया तो सब कुछ सामने आ गया। कान्हा आश्रय गौशाला में कार्यरत कर्मचारी ने जो बताया डब्लू ने जो टीम को बताया उसके विपरीत टीम को देखने को मिला। गौशाला में न तो भूसे का पूरा स्टॉक था और नाही चोकर ,चुनी और गुड़ गौशाला में होने जो बात कही थी वह गलत साबित हुई। रियलिटी चेक में टीम ने पाया की आधा कट्टा चोकर का रखा हुआ था इसके आलावा जो भी कर्मचारी डब्लू ने बताया ऐसा कुछ टीम को देखने को नहीं मिला। डब्लू का कहना है की 98 गाय गौशाला में थी और अब 91 गाय गौशाला में है। जब कर्मचारी से ये पूछा की बाकि गौवंश कहा है तो बगलें झाँकने लगा। दबी हुई आवाज में कर्मचारी डब्लू ने कहा की गाय मर रही है।
बता दें कि गोकुल नगर पंचायत में बनी कान्हा आश्रय गौशाला में महीनों में लाखों का बिल पशुओं के चारे का सरकार को भेजा जाता है,लेकिन पशुओं को खाने में केवल सूखा भूसा और नमात्र हरा चारा दिया जा रहा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि दान डाटा गायों के लिए चारे का पैसा देकर जाते है। नगर पंचायत कर्मी दान के पैसे से गायों के लिए चारा मँगाते है। सरकार को लाखों का बिल चारे का बना कर भेजा जाता है सरकार द्वारा जो पैसा आता है उसे नगर पंचायत अध्यक्ष और पंचायत ईओ सहित कर्मचारी मिलकर डकार जाते है।
गौशालाओं में हो रही धाँधली का खेल किसी से छिपा नहीं है। जिले में बेसहारा गौवंश को आश्रय देने के लिए गौशालाएँ तो खोली गयी लेकिन ये गौशाला लोगों के लिए एक आय का सादन बन गयी है। जब गौशाला में गायों को देखने के लिए कोई अधिकारी पहुँचता है तो गौशालाएं भरी हुई दिखाई देती है और अधिकारी के निरीक्षण के बाद गौशालाएँ खाली नजर आती है।