11 वर्ष की उम्र में आये थे मथुरा
कानपुर के बिठूर में जन्मे फक्कड़ बाबा रामायणी 11 वर्ष की उम्र में मथुरा आ गए और साधू बन गए। परिवार के लोग कई बार उन्हें वापस ले जाने के लिए भी आए, लेकिन कह दिया कि जीते जी ब्रज नहीं छोड़ेंगे। फिलहाल 75 वर्षीय फक्कड़ बाबा लम्बे अर्से से शहर के गोविन्दनगर स्थित गल्तेश्वर महादेव मंदिर में रहकर भगवान की पूजा-सेवा करते हैं। फक्कड़ बाबा के मुतातिब अभी तक वे 32 हजार घरों में रामचरित मानस और 16 हजार घरों में सुंदरकांड पाठ कर चुके हैं। फक्कड़ बाबा ने बताया कि उनके गुरु निश्चलानंद सरस्वती ने उन्हें 20वीं बार चुनाव में जीतने का आशीष दिया था, जिसके बाद 1976 से अभी तक वे 8 बार विधानसभा और 8 बार ही लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि सभी चुनावों में उन्हें हार का स्वाद चखने को मिला और जमानत भी जब्त हो गई, लेकिन इसका उन्हें कोई मलाल नहीं और अब 17वीं बार वे एक बार फिर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कमर कस चुके हैं।
कानपुर के बिठूर में जन्मे फक्कड़ बाबा रामायणी 11 वर्ष की उम्र में मथुरा आ गए और साधू बन गए। परिवार के लोग कई बार उन्हें वापस ले जाने के लिए भी आए, लेकिन कह दिया कि जीते जी ब्रज नहीं छोड़ेंगे। फिलहाल 75 वर्षीय फक्कड़ बाबा लम्बे अर्से से शहर के गोविन्दनगर स्थित गल्तेश्वर महादेव मंदिर में रहकर भगवान की पूजा-सेवा करते हैं। फक्कड़ बाबा के मुतातिब अभी तक वे 32 हजार घरों में रामचरित मानस और 16 हजार घरों में सुंदरकांड पाठ कर चुके हैं। फक्कड़ बाबा ने बताया कि उनके गुरु निश्चलानंद सरस्वती ने उन्हें 20वीं बार चुनाव में जीतने का आशीष दिया था, जिसके बाद 1976 से अभी तक वे 8 बार विधानसभा और 8 बार ही लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि सभी चुनावों में उन्हें हार का स्वाद चखने को मिला और जमानत भी जब्त हो गई, लेकिन इसका उन्हें कोई मलाल नहीं और अब 17वीं बार वे एक बार फिर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कमर कस चुके हैं।