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मथुरा

तपती दोपहरी में पसीना बहा रहा अन्नदाता, MSP को लेकर कही यह बड़ी बात

— गेहूं की MSP को लेकर किसानों ने पत्रिका से कही मन की बात।

मथुराApr 01, 2021 / 06:53 pm

arun rawat

Farmer

पत्नी के साथ गेहूं की फसल काटता किसान

पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
मथुरा। सरकार और किसान की बीच मिनिमम सपोर्ट प्राइस बिल्कुल लेकर अभी तक सहमति नहीं बनी है और किसान एमएसपी को लेकर अभी तक असमंजस की स्थिति में है। खेतों में जहां फसल को किसान काट रहे हैं वही एमएसपी का बात किसान कर रहे हैं किसानों से एमएससी को लेकर जब बात की तो मिली जुली बात निकल कर सामने आई।
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गेहूं की फसल काटने में जुटा किसान
किसानों की फसल कटने को तैयार है और किसान फसल को काटने से पहले इस दुविधा में फंसा हुआ है कि वह अपनी फसल को किस दाम में बेच कर अपने घर का चूल्हा जलाएगा। एक तरफ किसान अपनी फसल को देखकर खुश हैं तो दूसरी तरफ सरकार द्वारा लागू की गई मिनिमम सपोर्ट प्राइस किसानों के लिए चिंता का विषय बन गई है। किसानों को फसलों का दाम सही मिलेगा या नहीं इसकी भी चिंता किसान के माथे पर साफ दिखाई दे रही है। आम तौर पर किसान अपनी फसल को बेचता है तो उसे फसल का वाजिब दाम नहीं मिल पाता और यही वजह है कि देश का किसान लगातार घाटे की तरफ जा रहा है। जिले में गेहूं की फसल पूरी तरह से पक गई है और किसान उसे दोपहर में काट रहा है ताकि वह फसल को बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण कर सके।
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यह बोले किसान
सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि बिल कानून को लेकर जब किसानों से बात की तो किसानों की मिली जुली बातें सुनने को मिली। किसान छोटा हो या बड़ा सभी की फसल का एक ही दाम होना चाहिए जो बिचौलिए होते हैं। फसल बेचने के समय उनको खत्म करना चाहिए ताकि किसान को अपनी फसल का पूरा दाम और सही मिल सके। विजेंद्र कटारा नामक किसान ने कहा कि किसान फसल को काटकर घर लाए उसके बाद मंडी बेचने के लिए ले जाए किसान की दोगुनी मेहनत हो जाती है। अभी तक मंडियों में सरकारी क्रय केंद्र नहीं खोले गए हैं अगर समय पर क्रय केंद्र खोले जाते हैं तो किसान को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा और किसान अपनी फसल को वाजिब दाम पर बेचेगा।
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बिचौलिए उठाते हैं फायदा
उन्होंने कहा कि क्रय केंद्र ना खुलने का फायदा भी बिचोलिए उठाते हैं और किसान को मजबूरी में आकर अपनी फसल ओने पौने दामों में बेचनी पड़ती है। समय रहते सरकारी क्रय केंद्र खुल जाएं तो किसान एमएसपी के जरिए अपनी फसल को बेचकर अपने परिवार का जीवन यापन कर सकता है। डीजल लगातार महंगा हो रहा है खाद के दाम भी आसमान छू रहे हैं किसान फसल करे और मुनाफा आढ़तिए ले जाएं। एमएसपी बिल को वापस लेना चाहिए सरकार को और एक फसल का दाम सुनिश्चित कर देना चाहिए ताकि किसान को इधर-उधर भटकना ना पड़े।
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किसानों को मिले वाजिब दाम
वही किसान दिलीप कौशिक ने कहा कि सरकार का गलत पहलू है जो सरकार एमएसपी बिल को लेकर अड़ी हुई है। किसान को उसकी फसल का वाजिब दाम मिलना चाहिए। किसान अन्नदाता है। लॉकडाउन के दौरान भी किसानों ने देश के लोगों को अनाज पहुंचाया, सब्जियां पहुंचाईं। हर परिस्थिति में देश की शान को बचाने के लिए किसान तत्पर रहता है। हम लोगों ने लॉकडाउन के चलते लाठियां खाईं पुलिस वालों की फिर भी लोगों के घरों तक सब्जियां पहुंचाएं लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा की। जो भी सब्जी हम लोगों ने लॉकडाउन में लगाई वह फ्री में हम लोगों ने बांटी थी ताकि देश का नागरिक भूखा ना सोये। सरकार डीजल के दाम लगातार बढ़ाती जा रही है। सरकार किसी की भी हो किसान हर वक्त सरकार के साथ खड़े रहते हैं लेकिन किसानों को उनका हक नहीं मिलेगा तो अब किसान चुप नहीं बैठेगा। किसान आत्महत्या नहीं करेगा पहले सब को मारेगा फिर उसके बाद किसान मरेगा। प्रधानमंत्री से भी अपील है कि वह किसानों को समझे और उनके साथ थोड़ी सी सहानुभूति रखें। उन्होंने कहा कि किसान के लिए कुछ ऐसा किया जाए जिससे किसान किसान और जान दोनों ही बचे।

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