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पांच हजार वर्ष से खुले में विराजमान हैं मां चन्द्रावली, नहीं बनने देती हैं अपना मंदिर

locationमथुराPublished: Jan 30, 2020 03:11:46 pm

पत्रिका के ख़ास कार्यक्रम Once Upon A Time में जानेंगे कि क्यों मां चंद्रावली अपना मंदिर नहीं बनने देती हैं। मंदिर न बनाने के पीछे रहस्य।

पांच हजार वर्ष से खुले में विराजमान हैं मां चन्द्रावली, नहीं बनने देती हैं अपना मंदिर

पांच हजार वर्ष से खुले में विराजमान हैं मां चन्द्रावली, नहीं बनने देती हैं अपना मंदिर

मथुरा। हजारों सालों से भगवान श्रीकृष्ण के वापस आने की राह देख रहीं मां चंद्रावली वट वृक्ष के नीचे विराजमान होकर आज भी अपने भक्तों को दर्शन देती हैं। पत्रिका के ख़ास कार्यक्रम Once Upon A Time में जानेंगे कि क्यों मां चंद्रावली अपना मंदिर नहीं बनने देती हैं। मंदिर न बनाने के पीछे रहस्य।
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‘ये है मान्यता
मथुरा से करीब 20 किलोमीटर दूर थाना महावन क्षेत्र के महावन-यमुनापार मार्ग स्थित विराजमान हैं मां चंद्रावली। पत्रिका के विशेष कार्यक्रम Once Upon A Time में आज हम जानेंगे मां चंद्रावली के बारे में। मान्यता के अनुसार मां चंद्रावली राधा की प्रिय सहेलियों में से एक थीं। भगवान श्रीकृष्ण से गोकुल आने की जिद करती थीं। भगवान श्रीकृष्ण करीब साढ़े पांच हजार साल पहले राधा रानी की सहेली को अपने साथ अपने पिता नंद बाबा से मिलाने के लिए लेकर आए। गोकुल से 3 किलोमीटर दूर चंदा थक गईं और भगवान श्रीकृष्ण से उन्होंने रुकने को कहा। भगवान श्रीकृष्ण चंदा से अपने पिता नंदबाबा को यहां लाकर मिलवाने की बात कहकर चले गए। राधा की प्रिय सहेली चंदा यहां चंद्रावली मां के नाम से विख्यात हो गईं। मां चंद्रावली खुले बट वृक्ष के नीचे विराजमान हैं और कहा यह भी जाता है कि मां चंद्रावली जहां बैठकर भगवान श्रीकृष्ण के वापस आने का इंतजार कर रही हैं।
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मंदिर नहीं बनाने देती मां
मां चंद्रावली मंदिर की पुजारिन ओमवती देवी से जब बात की तो उन्होंने बताया कई बार हम लोगों ने मंदिर बनाने का प्रयास किया लेकिन मां नहीं चाहती कि हम मंदिर बनाएं। खुले आसमान के नीचे रहकर मां भक्तों को दर्शन देती हैं। कई बार मंदिर बनाने की कोशिश की गई तो कुछ न कुछ अड़चन मंदिर बनाने में आ जाती है। खुले में वटवृक्ष के नीचे रहना चाहती हैं मां चंद्रावली।
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सच्चे मन से मांगो, मिलता है फल
चंद्रावली मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी अरदास लेकर आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। हर सोमवार को मां चंद्रावली मंदिर में भव्य मेला लगता है और हजारों की संख्या में देश के कैने-कैने से श्रद्धालु मां चंद्रावली के दर्शन के लिए आते हैं।
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4 पिलर लगे, नहीं बना मंदिर
यहां आने वाले श्रद्धालु सच्चे मन से मां के दर्शन कर मनौती मांगते हैं। श्रद्धालुओं से जब यहां की मान्यता के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि हम लगातार 15 साल से दर्शन के लिए आ रहे हैं और मंदिर में केवल 4 पिलर लगे हैं गुंबद अभी तक नहीं बना। ऐसा सुना है कि मां अपना मंदिर बनवाना नहीं चाहतीं खुले में रहना मां को पसंद है। उन्होंने यह भी कहा कि हमने ऐसा सुना है कि मंदिर बनाने की कोशिश की गई तो पुजारी को कई बार सपने आए और उन्हें मंदिर न बनाने को मां ने कहा।

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