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…लेकिन गोकुल में खेली जाती है छड़ी मार होली

locationमथुराPublished: Mar 07, 2020 08:41:32 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

हर कोई रंगों की मस्ती में मस्त है और भगवान के साथ होली खेलकर अपने को धन्य कर रहा है

...लेकिन गोकुल में खेली जाती है छड़ी मार होली

…लेकिन गोकुल में खेली जाती है छड़ी मार होली

मथुरा. ब्रज में होली की धूम चारों ओर है। हर कोई रंगों की मस्ती में मस्त है और भगवान के साथ होली खेलकर अपने को धन्य कर रहा है। इसी भाव से आज भगवान बाल कृष्ण की नगरी गोकुल में होली खेली गई। यहां की होली की विशेषता ये थी कि लाठियों की जगह छड़ी से होली खेली जाती है। ब्रज में सभी जगह होली लाठियों से खेली जाती है, लेकिन गोकुल में भगवान का बाल स्वरूप होने के कारण होली छड़ी से खेली जाती है। इस होली का आनंद न केवल गोकुल वाले बल्कि देश के कई इलाकों से हजारों भक्त भी लेते हैं।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ, लेकिन उनका बचपन गोकुल में गुजरा। यही भाव आज तक ग़ोकुल वासियों के अन्दर है। यही कारण है कि यहां की होली आज भी पूरे ब्रज से अलग है। भक्ति भाव से भक्त सबसे पहले बाल गोपाल को फूलों से सजी पालकी में बैठाकर नन्द भवन से मुरलीधर घाट ले जाते हैं, जहां भगवान बगीचे में बैठकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं। जिस समय बाल गोपाल का डोला नन्द भवन से निकलकर मुरलीधर घाट तक पहुंचता है, भक्त होली के गीतों पर नाचते हैं, गाते हैं और भगवान के डोले पर पुष्पवर्षा करते हैं। सैकंड़ों वर्षों से चली आ रही इस होली की सबसे खास बात ये है कि जब भगवान बगीचे मै बैठकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं, उस दौरान हुरियारिन भगवान और श्रद्धालुओं के साथ छड़ी से होली खेलती हैं।
द्वादशी के दिन भगवान निकलते हैं मंदिर से बाहर
गोकुल में होली द्वादशी से शुरू हो कर धुल होली तक चलती है। इस दौरान भगवान केवल एक दिन द्वादशी के दिन ही नन्द भवन से निकलकर होली खेलते हैं और बाकी के दिन मंदिर में ही होली खेली जाती है।
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