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जांच अधिकारियों के अनुसार, अब ग्राम पंचायत सचिव से लेकर एपीओ तक की भूमिका तय की जाएगी। मामला सरकारी अफसरों से जुड़ा होने की वजह से उनके खिलाफ चार्जशीट लगाई जाएगी और अभियोजन के लिए शासन से अनुमति भी ली जाएगी। यह भी पढ़ें
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शासन ने वर्ष 2016-17 में जनपद की सभी 77 ग्राम पंचायतों को 14 वें वित्त से परफारमेंस ग्रांट के रूप में 21 करोड़ 16 लाख 10 हजार 289 रुपये की धनराशि विकास कार्यों के लिए भेजी थी। इसमें यह तय हुआ था कि जिन ग्राम पंचायतों की आय में वृद्धि हुई है और उन्होंने अपनी आय के स्रोत बना लिए हैं उनको यह धनराशि विकास की गति को आगे बढ़ाने के लिए दी जानी थी। इसके लिए शासन ने एक शासनादेश भी किया था। इसमें ग्राम पंचायतों के चयन की पूरी प्रक्रिया को अपनाने के निर्देश दिए गए थे।
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विभागीय सूत्रों की माने तो तत्कालीन डीपीआरओ एवं वर्तमान में उन्नाव के डीपीआरओ राजेंद्र प्रसाद यादव ने शासनदेश की अनदेखी करते हुए कुछ ग्राम पंचायतों को ही 1 करोड़ 34 लाख 10 हजार 490 रुपये की धनराशि विकास कार्यों के लिए दे डाली। इस धनराशि कुछ विकास कार्य तो हुए लेकिन अधिकांश धनराशि का बंदरबांट कर डाला गया। मजेदार बात यह रही कि जो धनराशि खर्च करने को दी गई थी वह पूरे वित्तीय वर्ष में खर्च ही नहीं हुई। यह भी पढ़ें
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परफारमेंस ग्रांट की जांच शासन स्तर पर हुई तो विभाग में खलबली मच गई। पहले तो विभागीय जांच हुई। सभी डीपीआरओ से खर्च किया गया पैसा भी वापस करने को कहा गया। मथुरा में प्राप्त धनराशि से कम खर्च होने पर वर्ष 2017-18 में मिले 14वें वित्त की धनराशि से परफारमेंस के तहत हुए विकास कार्यों का पैसा उन ग्राम पंचायतों के खातों से काट कर वापिस भिजवा दिया गया। तब माना जा रहा था कि पैसा वापस होने पर अब शासन कोई ठोस कार्रवाई नहीं करेगा। वहीं दूसरी ओर शासन ने पूरे मामले को उ.प्र. सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ के सुपुर्द कर दिया। सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ की टीम ने जब ग्राम पंचायतों में जाकर परफारमेंस ग्रांट की जांच पड़ताल की तो खर्च की गई धनराशि में गड़बड़ी मिली। यह भी पढ़ें
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इनके खिलाफ हुई रिपोर्टशनिवार को अनिल कुमार यादव निरीक्षक अभिसूचना सेक्टर उ.प्र. सतर्कता अधिष्ठान, लखनऊ ने मथुरा के थाना सदर बाजार में तत्कालीन डीपीआरओ राजेंद्र प्रसाद यादव, संबंधित सहायक विकास अधिकारी व संबंधित ग्राम पंचायत अधिकारी एवं सचिवों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 466, 467,468,471,166 व 34 भादवि धारा 7 व 13(1) क धारा 13 (2) भा.नि.अधि. के तहत दर्ज कराई है।