यह भी पढ़ें- सावन में मंहगा हुआ बाबा विश्वनाथ का दर्शन, महामृत्यंजय जाप के लिए एक लाख तो मंगला आरती के लिए लगेंगे 1500 रुपये बता दें कि कोविड काल से पहले प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा मेले में लाखों करोड़ों भक्त गोवर्धन में आया करते थे। लेकिन, कोविड काल में कान्हा की नगरी गोवर्धन धाम में लगने वाले गुरु पूर्णिमा मेले पर पिछली साल की तरह इस बार भी संक्रमण फैलने को देखते हुए इस बार भी प्रशासन ने मेले को निरस्त करा दिया था। हालांकि मुड़िया शोभायात्रा निकलने की प्रसाशन ने अनुमति दे दी थी। उसी अनुमति के आधार पर मुड़िया पूर्णिमा मेला निरस्त होने के बाद गुरु-शिष्य की परंपरा निभाने के लिए शुक्रवार को जहां संतों ने मुंडन कराय। वहीं, शनिवार को संतों ने मुड़िया शोभायात्रा निकाली। यह यात्रा संतों ने ढोल नगाड़े, बाजे-गाजे के साथ निकाली। शोभा यात्रा चकलेश्वर के श्रीराधा-श्याम सुंदर मंदिर से शुरू हुई और प्रमुख मार्गों से गुजरी। इस दौरान यात्रा के साथ पुलिस बल भी मौजूद था, ताकि भक्तों की भीड़ इसमें शामिल न हो सके।
ज्ञात हो कि पूरे देश में मनाए जाने वाला गुरु पूर्णिमा पर्व गोवर्धन धाम में मुड़िया पूर्णिमा मेला के नाम से मनाया जाता है। श्याम सुंदर दास ने बताया कि यहां सनातन गोस्वामी के 1558 में गोलोकधाम पधारने पर उनके शिष्यों ने सिर मुंडाकर मानसी गंगा की परिक्रमा लगाई थी। उसी परंपरा का गोवर्धन के चकलेश्वर स्थित श्रीराधा श्याम सुंदर मन्दिर के संत निर्वहन करते चले आ रहे हैं। शुक्रवार को अनुयायी भक्तों ने मंदिर में सिर मुंडन कराया है। शनिवार को मानसी गंगा में स्नान कर परंपरानुगत 463वीं बार मुड़िया शोभायात्रा हरिनाम संकीर्तन के साथ निकाली गई।