मथुरा सांसद हेमा मालिनी ने संसद में पहले बंदरों की समस्या को रखा। अब हेमा मालिनी ने उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मथुरा की शिक्षा प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के समक्ष सांसद हेमा ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ मेरे संसदीय क्षेत्र के जो सरकारी स्कूल हैं उनमें 60% से कम बच्चों का नामांकन होता है। उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने एकीकृत सुरक्षा योजना लागू की लेकिन प्रदेश में इस योजना का सही प्रकार से निर्वहन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मेरे संसदीय क्षेत्र में भी एक बिल्डिंग के अंदर चार-पांच स्कूल चल रहे हैं और 30-35 बच्चों के ऊपर एक शिक्षक होना चाहिए यहां 100 बच्चों के ऊपर एक शिक्षक है।
कहीं स्कूल है तो छात्रा नहीं, छात्र हैं तो स्कूल नहीं सांसद हेमा ने कहा कि अक्सर यह देखा गया है कि कहीं स्कूल है वहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या नहीं है। जहां स्कूल नहीं हैं वहां छात्र-छात्राओं की संख्या बहुत अधिक है। स्कूलों में सही ढंग से सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
आज भी शिक्षक पेड़ के नीचे पढ़ाते हैं बच्चों को सांसद हेमा ने कहा कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली है और खासकर मेरे संसदीय क्षेत्र में कई जगह देखा गया है कि बच्चे पेड़ों के नीचे पढ़कर जाते हैं। आज भी शिक्षक बच्चों को पेड़ों के नीचे पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि इसीके चलते गरीब और ग्रामीण बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल पा रहा है।
ये की माँग सांसद हेमा ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मांग कर रही हूं कि हायर एजुकेशन में क्वालिटी एजुकेशन को इंप्रूव करने के लिए सरकारी निजी पार्टनरशिप मॉडल पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप लागू किया गया है वैसे ही स्कूली शिक्षा में भी क्वालिटी एजूकेशन उपलब्ध कराने के लिए सरकारी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप लागू करने की मांग करती हूं।