हिमांगी सखी ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि वृंदावन की इसी भूमि पर इस्कॉन मंदिर में 18 वर्ष की आयु में रहकर किए गए शास्त्रों का अध्ययन से ही यह सब संभव हुआ है कि वे आज महामंडलेश्वर बन गईं। इसके लिए वो जीवन में कभी बांके बिहारी का धन्यवाद अदा नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि वे किन्नर नहीं बल्कि श्याम की सखी हैं। क्योंकि सखी ही भगवान के चरणों के सबसे निकट है। मानव का जन्म अनमोल है। 84 लाख योनि के बाद ये जन्म मिलाता है। अपने लिए तो हर कोई जीता है क्यों ने हम दूसरों के लिए जीएं।
गौरतलब है कि हाईप्रोफाइल परिवार में पली बढ़ीं हिमांगी सखी महामंडलेश्वर बनने से पहले आशुतोष राणा के साथ 2005 में रिलीज फिल्म शबनम मौसी के अलावा, डाउन टाउन, दक्षिण की फिल्म थर्ड मैन और भोजपुरी फिल्म बाप रे बाप में भी काम कर चुकीं हैं। वर्ष 1999 में अपनी छोटी बहन की शादी के बाद हिमांगी ने पूरा जीवन कृष्ण को समर्पित कर दिया। वो अब तक मॉरीशस, बैंकॉक, सिंगापुर, हांगकांग देशों समेत 50 जगहों पर भागवत कथा कर चुकीं है। किशोरावस्था में ही उनके मां बाप का देहांत हो चुका था।