Holi की शुरुआत होते ही मिलावटखोरी शुरू हो जाती है, ब्रज की होली में अनुपयोगी सीमेंट और मार्बल पाउडर से तैयार किया जा रहा जहरीला गुलाल जो बिना नाम और ब्रांड के पैक हो रहा
मथुरा। इस बार ब्रज में जो गुलाल उड़ रहा है वह अनुपयोगी हो चले सीमेंट और मार्बल पाउडर में रंग मिला कर तैयार किया गया है। इसी से ब्रजवासियों के साथ देश विदेश से आये श्रद्धालु होली खेल रहे हैं। मिड्डी तथा यमुना की रेत का भी बहुतायत में प्रयोग किया गया है। यही वजह है कि ब्रज में होली (Holi 2019) का उल्लास तो है लेकिन लोगों में अजीब से बैचेनी भी है। गुलाल सिर में लगने के बाद सिर चकराने लगता है। चेहरे पर लगने के बाद आंखों में जलन सी होने लगती है। रंग लगने के बाद त्वचा में भी सिकुड़न और जलन होने लगती है। ब्रज की होली में मस्त श्रद्धालुओं का भी ध्यान इस ओर है लेकिन वह इस रंग और गुलाल से ब्रज में लाख कोशिश करने के बाद भी बच नहीं सकते हैं। गुलाल में लैड का भी प्रयोग किया जा रहा है जिससे गुलाल चमकीला हो जाता है, लेकिन यह त्वचा के लिए बेहद खतरनाक है।
कहां बन रहा है जहरीला रंग, गुलाल मथुरा में बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित एक बंद पड़ी साड़ी की फैक्टरी के अंदर जहरीला रंग और गुलाल तैयार किया जा रहा है। इंडस्ट्रियल एरिया की बंद पड़े कारखानों में यह काम चल रहा है। वृंदावन में कैलाश नगर के सामने फैक्टरी में इस तरह का गुलाल और रंग तैयार किया जा रहा है। इसके अलवा वृंदावन में कई जगह चोरी छुपे ये काम हो रहा है। इन कारखानों में तैयार हो रहा रंग और गुलाल बिना नाम और ब्रांड के सादा बेरों में भर कर बाजार में बेचा जा रहा है।
दर्जन से अधिक श्रमिकों की खराब हो गईं थी आंखें श्रम विभाग ने राष्ट्रीय राजामर्ग स्थित इसी कारखाने पर 1998 में छापामार कार्रवाई कर एक दर्जन से अधिक महिला, पुरुष और बच्चों को मुक्त कराया था। ये मजूदर रंग और गुलाल बनाने का काम कर रहे थे। मुक्त कराये गये मजदूरों में से अधिकांश की आंखें खराब हो चुकी थीं। इसके बाद कारखाने पर करीब 12 साल तक ताला पड़ा रहा। एक बार फिर कारखाने में काम शुरू हो गया है।
कीमत -गुलाल का कट्टा (8 किलो) थोक में 35 रुपये प्रति किलोग्राम -गुलाल का कट्टा (8किलो) फुटकर में 45 रुपये प्रति किलोग्राम -सही गुणवत्ता का गुलाल 60 से 70 रुपये रुपये प्रति किलोग्राम