श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर हुरियारिपनों की लाठियों की तड़तड़ाहट तो मथुरा के द्वारिकाधीश और वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में रंग और गुलाल की होली की धूम रही। वृंदावन में भीड़ का दबाव इतना ज्यादा रहा कि यातायात व्यवस्था ही चरमरा गई।
रंगभरनी एकादशी पर ब्रज के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर लठामार होली खेली गई। वहीं द्वारकाधीश और बांकेबिहारी मंदिर में रंगों की होली हुई।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। लीला मंच पर सांस्कृतिक होली सुबह से शुरू हुई। राधाकृष्ण के स्वरूपों की आरती उतारी गई।
मोर कुटी पर कान्हा मोर बनिया आयो, कान्हा बनसाने में आई जईयों बुलाई गयी राधा प्यारी जैसे गीतों पर श्रद्धाुल थिरकने को मजबूर हो गये। चरकुला और मयूर नृत्य ने भी लोगों का मनमोह लिया।
शाम को रावल की हुरियारिनों ने लाठमार होली खेली। दूसरी ओर कान्हा की नगरी के शहर कोतवाल कहे जाने वाले प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर में आंवला एकादशी पर होली खेली गई।