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बृज में Holi के निराले रंग, कान्हा की आज छड़ी से होगी पिटाई

locationमथुराPublished: Mar 18, 2019 04:36:47 pm

Submitted by:

suchita mishra

कलकल करती यमुना के तट पर बसा कान्हा का गांव कृष्ण भक्तों को हमेशा से आकर्षित करता रहा है, यहाँ भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप के साथ होली खेली जाती है और गोपिकांए बालक कृष्ण को छोटी-छोटी छड़ियों से छेड़ती हैं।

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मथुरा। कलकल करती यमुना के किनारे बसे अपने गांव गोकुल में भगवान 18 मार्च, 2019 को छड़ी मार Holi खेलेंगे। ब्रज में कहीं होली तो कहीं होरा होता है लेकिन कान्हा के गांव में होली की छटा ही निराली है। भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यहां होली खेलते हैं।
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छड़ी होली का आकर्षण

मथुरा कारागार में जन्म लेने के बाद यमुनापार कर नंदबाबा के गांव गोकुल आ गये थे। भगवान श्रीकृष्ण का बचपन यहीं बीता था। भगवान यहां होली (Holi 2019) खेलते हैं तो गोपिकांए बालक कृष्ण को छोटी-छोटी छड़ियों से छेड़ती हैं। माता यशोदा गोपिकाओं का ऐसा करने से मना करती हैं लेकिन गोपिकांए कान्हा के साथ होली खेलने का मोह नहीं छोड़ पाती हैं। यही वजह है कि नंदगांव, बरसाना में भगवान लठामार होली खेलते हैं तो बड़े भाई बलदाऊ बल्देव में हुरंगा खेलते हैं। गोकुल में बालस्वरूप श्रीकृष्ण छड़ी होली खेलते हुए मिलेंगे। छड़ी होली का आकर्षण ऐसा है कि देश विदेश से श्रद्धालु इस होली का आनंद लेने के लिए खिंचे चले आते हैं।
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सुंदरता की अनुभूति

गोकुल नगर पंचायत के चेयरमैन संजय दीक्षित ने बताया कि इस बार छड़ी होली को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है। गोकुल गांव में इस बार श्रद्धालुओं को खास तरह की साफ सफाई देखने को मिलेगी। मुरलीधर घाट पर भी विषेष व्यवस्था की गई है। गोकुल के प्रवेश द्वारों को विशेषरूप से सजाया गया है। उन्होंने बताया कि इस बार का खास ध्यान रखा जा रहा है कि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई असुवधिा न हो। बाहर से आने वाले श्रद्धालु गोकुल की अच्छी छवि और प्राकृतिक सुंदरता की सुखद अनुभूतियों के साथ वापस लौटें। कलकल करती यमुना के तट पर बसा कान्हा का गांव कृष्ण भक्तों को हमेशा से आकर्षित करता रहा है।
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गोकुल के विकास को मदद नहीं मिलती

उत्तर प्रदेश सहित देष के तमाम राज्यों में गोकुल गांव के नाम पर कई योजनाओं का नामकरण किया गया है। सरकार धार्मिक पर्यटन बढ़ाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के गांव गोकुल का देश विदेश में खूब प्रचार कर रही हैं। ग्रामीण पर्यटन के लिए भी गोकुल को मॉडल की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है। इतना सबकुछ होने के बाद भी गोकुल के विकास पर किसी का ध्यान नहीं गया है। यहां तक कि तीर्थ विकास परिषद नंदगांव, बरसाना, गोवर्धन, वृंदावन, मथुरा के मंदिरों को आर्थिक मदद करता है वहीं गोकुल के मंदिरों को इस तरह की कोई मदद नहीं मिलती है। गोकुल के विकास की कोई समग्र योजना भी अभी तक प्रस्तुत नहीं की गई है।
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होली के कार्यक्रम
20 मार्च होलिका दहन फालेन का पंडा आग से निकलेगा
21 मार्च द्वारिकाधीश मंदिर मथुरा की होली
22 मार्च दाऊ जी का कोड़ेमार हुरंगा
22 मार्च को मुखराई चरुकुला नृत्य
26 मार्च को मानसी गंगा दसविसा ब्राह्मणान हुरंगा एवं होली महोत्सव
29 मार्च को जतीपुरा गिरिराज जी मंदिर में फूल डोल महोत्सव
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