ब्रज गंधा प्रसाद समिति के असिस्टेंट मैंनेजर सुधांशु मिश्रा ने बताया कि अपनी सुविधा के अनुसार यहां रह रहीं माताएं समय निकाल कर फूलों से हर्बल गुलाल तैयार करने में जुटी हैं। करीब 60 विधवा माताएं फूलों से गुलाल बना रही हैं। उन्होंने बताया कि करीब 30 से 40 किलो फूल प्रतिदिन मंगाए जाते हैं। इन फूलों में गुलाब गेंदा के साथ-साथ चमेली और मोगरा के फूल भी शामिल हैं। विधवा माताएं सभी फूलों को पहले अलग-अलग करती हैं और फिर इन्हें सुखाती हैं। उसके बाद मशीन के जरिए फूलों का पाऊडर तैयार किया जाता है। 3 दिन की प्रक्रिया के बाद गुलाल तैयार होकर पैकेजिंग के लिए जाता है। उन्होंने बताया कि यहां 50 रुपये का 50 ग्राम और 100 रुपये का 100 ग्राम गुलाल बेचते हैं।
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मैं अयोध्या हूं... रामनगरी चुपचाप सुन रही भविष्य का आहट, 27 को तय होगी मुस्कराहट स तरह बनाया जाता है प्राकृतिक गुलाल समिति के प्रोडक्ट कॉर्डिनेटर विक्रम शिवपुरी ने बताया कि बांके बिहारी मंदिर में चढ़ने वाले फूलों की यहां सबसे पहले सफाई की जाती है, जिसके बाद छटाई का काम होता है। इसके बाद फूलों को सुखाया जाता है और फिर पीसकर उनका पाउडर तैयार करके रख लिया जाता है। इस पाउडर का इस्तेमाल अगरबत्ती बनाने में भी होता है। मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों से गुलाल और अगरबत्ती बनाने का काम पिछले वर्ष शुरू किया गया था। इस बार 4-5 क्विंटल गुलाल तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार की ओर से यहां रह रही निराश्रित माताओं को पेंशन मिलती ही है। अगरबत्ती और गुलाल बनाने के एवज में भी इन महिलाओं को इनके काम के लिए पारिश्रमिक दिया जाता है। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि चैतन्य विहार आश्रय सदन में करीब 230 महिलाएं रह रही हैं। इनमें से 60 महिलाएं अपने समय के अनुसार काम करती हैं।
3 वर्ष से माता पार्वती बना रही गुलाल महिला आश्रय सदन में पिछले 10 वर्षों से रह रहीं बदायूं की विजवा माता पार्वती ने बताया कि 3 वर्ष से हम यह गुलाल बना रहे हैं। भगवान के श्री चरणों से मंगाए गए फूलों का गुलाल लोगों के माथे पर लगकर माथे की शोभा बढ़ाता है। उन्होंने बताया कि इस गुलाल को बेचने से पहले ठाकुर बांके बिहारी के श्री चरणों में गुलाल को अर्पित किया जाता है। उसके बाद इसे बेचने के लिए भेजा जाता है। हम सौभाग्यशाली हैं कि भगवान के श्री चरणों से लाए गए फूलों से हम गुलाल तैयार कर रहे हैं।