यमुना के बढ़ते जलस्तर के कारण तटीय इलाकों में पानी ने दस्तक दे दी है। बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं और लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। बता दें कि हथिनीकुंड बैराज से 8 लाख क्यूसेक से अधिक पानी एकसाथ छोड़े जाने के बाद जहां दिल्ली में यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, वहीं मथुरा-वृन्दावन में भी यमुना का जलस्तर बढ़ गया है। तटीय इलाकों में दस्तक देना शुरू कर दिया है, जिसके कारण लोगों ने पलायन शुरू कर दिया है। यमुना में इतना अधिक पानी आने को लेकर वजह चाहे जो भी रही लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से लोग इसे अच्छा मान रहे हैं और इसकी तुलना द्वापरयुग से कर रहे हैं।
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द्वापर जैसा नजारा
वृन्दावन के रहने वाले मदन मोहन शर्मा का कहना है कि द्वापर में श्रीकृष्ण के जन्म के समय भी यमुना नदी पूरे उफान पर थी, जिसे वासुदेव जी ने पार कर श्रीकृष्ण को कंस के कारागार मथुरा से गोकुल पहुंचाया था। उसी तरह इस बार भी जन्माष्टमी पर यमुना की लहरें कृष्ण के जन्मोत्सव की मथुरा में साक्षी बनेंगी।
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1978 में आई थी बाढ़मथुरा निवासी कृष्ण कुमार ने बताया कि सन 1978 में यमुना ने आई बाढ़ के समय मथुरा-वृन्दावन की गलियों में नाव चली थी। इसके बाद इतना पानी कभी यमुना में नहीं आया। अबकी बार लग रहा है कि शायद उस समय जैसा नजारा देखने को मिले। लोगों का कहना है कि मथुरा में इस बार भव्य और दिव्य तरीके से जन्माष्टमी का आयोजन सरकार द्वारा कराया जा रहा है और खुद सीएम योगी यहां श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में शामिल होने आ रहे हैं। पूरे मथुरा को सजाया जा रहा है तो यमुना भी तो भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी हैं, तो वे भी अपने दिव्य स्वरूप में कान्हा के जन्मोत्सव की साक्षी बनेंगी।