श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि जन्माष्टमी की पूर्व संध्या 2 सितंबर रविवार को शाम छह बजे से कार्यक्रम शुरू हो जायेंगे। श्रीकेशवदेव मंदिर से संत एवं भक्तजन ढोल नगाड़े, झांझ मंजीरे के मध्य भगवान श्री राधाकृष्ण की दिव्य पोशाक अर्पित करने के लिए संकीर्तन करते हुये जायेंगे। पोशाक, मुकुट, श्रंगार, दिवय मोर्छलासन, कामधेनु गाय की प्रतिकृति एवं दिव्य रजत कमल के विशेष दर्शन होंगे। इस वर्ष सुंदर जरी, रेशम एवं रत्नप्रतिकृतियों के संयोजन से दिव्य बजरत्न मुकट, जन्माष्टमी के पवित्र दिन ठाकुरजी धारण करेंगे। इसके बाद शाम 6.30 बजे भागवत भवन में जन्म महोत्सव की कमलाकृति पोशाक, मुकुट, श्रंगार, दिवय मोर्छलासन, कामधेनु गाय की प्रतिकृति एवं दिव्य रजत कमल के विशेष दर्शन होंगे।
वहीं जन्माष्टमी के दिन सुबह से ही कार्यक्रम प्रारम्भ हो जायेंगे। सुबह दिव्य शहनाई एवं नगाड़ों के वादन के साथ भगवान की मंगला आरती के दर्शन हेांगे। इसके बाद भगवान का पंचामृत अभिषेक किया जायेगा एवं भगवान के पवित्र स्त्रोतों का पाठ एवं पुष्पार्चन होगा। सुबह 10 बजे श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत श्रीनृत्यगोपाल दासजी महाराज एवं कष्र्णि गुरुशरणानंद जी महाराज के भावमय सानिध्य में दिव्य पुष्पांजलि का कार्यक्रम श्रीकृष्ण जन्मभूमि के सिद्ध लीलामंच पर होगा।
वहीं कृष्ण जन्मभूमि पर मुख्य कार्यक्रम रात्रि 11 बजे शुरू होगा। जन्म महाभिषेक के लिए रात्रि 11 बजे श्रीगणेश नवग्रह आदि पूजन से होगा। रात्रि 12 बजे भगवान के प्राकट्य के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर में ढ़ोल नगाड़े, झांझ मंजीरे और मृदंग एवं हरिबोल एवं करतल ध्वनि के साथ भक्तजन झूम उठेंगे। महाआरती रात्रि 12.10 बजे तक चलेगी। भगवान का जन्म महाभिषेक रात्रि 12.15 बजे से रात्रि 12.30 बजे तक चलेगा। 12.40 बजे से 12.50 तक श्रंगार आरती के दर्शन होंगे। जन्म के दर्शन रात्रि 1.30 बजे तक होंगे।