चंदन की लकड़ी से निर्मित इस खम्भे को मेले से 2 महीने पूर्व तक अंडी के तेल में डुबोकर रखा जाता है। मेले वाले दिन सिंह द्वार के पास इसे स्थापित किया जाता है। पहलवान जब इस खम्भे पर चढ़ते हैं इस दौरान लगातार तेल एवं हल्दी से निर्मित जल की लगातार बौछार इन पर की जाती है। पहलवान बार बार ध्वज को हासिल करने का प्रयास करते हैं बार बार पानी की बौछार के कारण गिर जाते हैं। खम्भे से फिसलने के बाद वह कदम्ब वृक्ष पर मुरली धारण किये कृष्ण स्वरूप में विराजमान भगवान रंगनाथ और लड्डू गोपाल जी का आशीर्वाद लेते हैं। करीब एक घण्टे तक चली इस लीला के बाद अंत में पहलवान भगवान रंगनाथ के आशीर्वाद का ध्वज हासिल कर लेते हैं। इस लट्ठ के मेले को देखने के लिए दूर दराज से हजारों भक्त मन्दिर परिसर में उपस्थित रहे।
थाने का पास कमरे में फंदे पर लटका मिला पुलिसकर्मी शव ये रहे मौजूद इस अवसर पर मन्दिर की सीईओ अनघा श्री निवासन, विजय मिश्र, चक्रपाणि मिश्र, राकेश दुबे, तिरुपति, आनंद, मोहन जी, पंकज शर्मा, गौरव शर्मा, कंचन झा, कन्हैया, शशांक शर्मा, शाश्वत पुरशोत्तम, रंगा स्वामी, राजन स्वामी, आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।