मथुरा. जवाहर बाग हिंसा की घटना से मथुरा के लोग अभी उबरे नहीं हैं। इस मामले की सीबीआई जांच कराने के लिए शहीद एसपी सिटी मुकुल दिवेदी के भाई प्रफुल्ल दिवेदी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र भेजा है। उधर, सरकार की तरफ से गठित न्यायिक आयोग के समक्ष अधिवक्ताओं ने इस मामले पर गवाही दी है। दीपावली के बाद मथुरा में तैनात रहे अधिकारियों को भी अपना पक्ष रखना होगा।
क्या लिखा है पत्र में
प्रफुल्ल ने अपने पत्र में लिखा है कि वह यह जानना चाहते हैं कि उनका भाई किन हालातों में भीड़ में फंसा। कौन—कौन अधिकारी उनके साथ थे और क्यों उन्हें छोड़कर भाग गए थे। मुकुल को अकेला घटनास्थल पर क्यों भेजा गया था। बड़े अधिकारी इस आॅपरेशन से दूर क्यों रहे।
अधिवक्ताओं ने दी गवाही
उधर, जवाहरबाग घटना के संबंध में सोमवार को अधिवक्तओं ने न्यायिक आयोग के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखा। वकीलों ने घटना के लिए अफसरों को जिम्मेदार बताया। कहा, अगर शुरुआत में ही बाग को खाली करा दिया जाता तो ऐसे हालात पैदा ही नहीं होते। गौरतलब है कि घटना के बाद सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया था। पहले चरण में लोगों ने पेश होकर अपनी बात रखी थी जबकि दूसरे चरण में शपथ पत्र दिए गए थे। अब गवाही हो रही है।
दीपावली के बाद अधिकारी रखेंगे अपना पक्ष
न्यायिक आयोग के समक्ष दीपावली के बाद अधिकारियों के बयान लिए जाएंगे। मार्च 2014 से 2 जून 2016 तक, जो भी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मथुरा में तैनात रहे हैं, सभी को आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखना है। आयोग सभी अधिकारियों को पहले ही नोटिस जारी कर चुका है।
जवाहर बाग हिंसा में तीस लोग मरे थे
मथुरा के जवाहरबाग पर रामवक्ष यादव और उसके साथियों ने कब्जा कर लिया था। प्रशासन ने इसे खाली कराने का निर्णय लिया। इसके बाद विगत दो जून को पुलिस और प्रशासनिक अमला बाग को खाली कराने पहुंचा, जिससे लोग उत्तेजित हो गए और हिंसा भड़क गई। इस घटना में एसपी सिटी मुकुल दिवेदी और थानाध्यक्ष फरह संतोष कुमार सहित करीब तीस लोगों की मौत हो गई थी।