ऐसे मिली प्रेरणा
पत्रिका के विशेष कार्यक्रम पर्सन ऑफ द वीक में बातचीत करते हुए समाजसेवी सुनील शर्मा ने बताया कि 16 अक्टूबर 1963 में उनका जन्म हाथरस जिले के हसायन रति का नगला में हुआ था। उनकी प्राइमरी शिक्षा गांव से हुई, इसके बाद वे करनाल चले गए। 1978 में उनकी शिक्षा करनाल में शुरू हुई और उन्होंने 1980 में मैट्रिक, 1982 में इंटरमीडिएट और 1984 में स्नातक किया। वर्ष 1985 में वे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज द्वारा संचालित संस्था मानव सेवा संघ के एक कार्यक्रम का हिस्सा बने। वहीं से उन्हें प्रेरणा मिली और उनका रुझान सामाजिक कार्यों की ओर होने लगा। इसके बाद वे लखनऊ की संस्था कल्याणम करोति से जुड़ गए।
पत्रिका के विशेष कार्यक्रम पर्सन ऑफ द वीक में बातचीत करते हुए समाजसेवी सुनील शर्मा ने बताया कि 16 अक्टूबर 1963 में उनका जन्म हाथरस जिले के हसायन रति का नगला में हुआ था। उनकी प्राइमरी शिक्षा गांव से हुई, इसके बाद वे करनाल चले गए। 1978 में उनकी शिक्षा करनाल में शुरू हुई और उन्होंने 1980 में मैट्रिक, 1982 में इंटरमीडिएट और 1984 में स्नातक किया। वर्ष 1985 में वे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज द्वारा संचालित संस्था मानव सेवा संघ के एक कार्यक्रम का हिस्सा बने। वहीं से उन्हें प्रेरणा मिली और उनका रुझान सामाजिक कार्यों की ओर होने लगा। इसके बाद वे लखनऊ की संस्था कल्याणम करोति से जुड़ गए।
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राजनीति में जाने का था सपना
सुनील शर्मा ने बताया कि वे राजनीति में जाना चाहते थे। लेकिन किस्मत उन्हें समाज सेवा में ले आयी। सुनील शर्मा के मुताबिक उन्हें हमेशा से ही नई नई चीजों को सीखने का शौक रहा है। वर्ष 1985 में वे मथुरा आए और तत्कालीन सांसद मानवेंद्र से मिले। उन्होंने सासंद से लखनऊ की संस्था कल्याणम करोति द्वारा मथुरा में आई कैंप लगवाने का आग्रह किया। सांसद ने उनका आग्रह मान लिया। इसके बाद 1986 में मथुरा में कैंप की शुरुआत हुई और पहले ही कैंप में चार हजार लोगों का सफल ऑपरेशन हुआ।
पांच लाख से ज्यादा असहाय लोगों को लाभ पहुंचा चुके हैं
कैंप के सफल आयोजन के बाद सुनील का रुझान समाज सेवा सुनील शर्मा का रुझान राजनीति से हटकर समाज सेवा की ओर बढ़ने लगा। सुनील का कहना है कि समाज सेवा करके उन्हें एक सुकून मिलता है। यही कारण है कि वे पिछले 35 सालों से शारीरिक व मानसिक रूप से असहाय लोगों की सेवा कर रहे हैं। कल्याण करोति संस्था के माध्यम से वे मथुरा में मूकबधिर बच्चों के लिए स्कूल का भी संचालन कर रहे हैं। इसके अलावा वे गांव-गांव जाकर मेडिकल कैंप लगाकर स्वास्थ्य सेवाएं भी देते हैं। ऐसे गरीब जो चलने फिरने में असमर्थ हैं, उनके लिए ट्राई साइकिल, कृत्रिम हाथ-पैर वितरित करते हैं। अपने 35 साल की सेवा में सुनील पांच लाख से ज्यादा लोगों को लाभ पहुंचा चुके हैं। उन्होंने करीब डेढ़ लाख लोगों को कृत्रिम अंग लगाकर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया है।
200 से ज्यादा मिले हैं पुरस्कार
सुनील को अपने इसे उत्कृष्ट कार्य के लिए करीब 200 पुरस्कार मिल चुके हैं। जिनमें कई अहम पुरस्कार हैं। उन्होंने बताया कि 3 दिसंबर 2010 को पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें सम्मानित किया था। वर्ष 2011 में यूपी के तत्कालीन राज्यपाल बीएल जोशी द्वारा सम्मानित किया गया। 2012 में ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय सम्मेलन दिल्ली में उन्हें राजनाथ सिंह और कलराज मिश्र द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
सुनील को अपने इसे उत्कृष्ट कार्य के लिए करीब 200 पुरस्कार मिल चुके हैं। जिनमें कई अहम पुरस्कार हैं। उन्होंने बताया कि 3 दिसंबर 2010 को पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें सम्मानित किया था। वर्ष 2011 में यूपी के तत्कालीन राज्यपाल बीएल जोशी द्वारा सम्मानित किया गया। 2012 में ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय सम्मेलन दिल्ली में उन्हें राजनाथ सिंह और कलराज मिश्र द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।