ब्राह्मण समाज राजनीतिक दलों के लिए मोहरा अखिल भारतवर्षीय ब्राह्ण महासभा ने इस बात का ऐलान कर दिया है कि इस बार ब्राह्मण मतदाता उसी पार्टी के साथ जाएगा जो ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारेगी। जिलाध्यक्ष पंडित रमेश दत्त दीक्षित ने कहा कि ब्राह्मण समाज राजनीतिक दलों के लिए मोहरा रहा है। उन जातियों के प्रत्याशी भी यहां से जीते हैं जिनकी मतदाता संख्या अंगुलियों पर गिनने लायक है। जब पार्टी हमारे प्रत्याशी को टिकट ही नहीं देंगी तो जीतेंगे कैसे। अभी तक राजनीतिक दलों ने गिने-चुने ब्राह्मण प्रत्याशियों को ही टिकट दिया है।
ब्राह्मण समाज के साथ हमेशा छलावा राष्ट्रीय प्रवक्ता बिहारी लाल वशिष्ठ का कहना है कि राजनीतिक दलों द्वारा ब्राह्मण समाज के साथ हमेशा छलावा किया गया है। इस लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण एकता की गूंज उत्तर प्रदेश ही नहीं संपूर्ण देश में सुनाई देगी। पिछले कुछ सालों में ब्राह्मण एकता का अद्भुत परिदृश्य देखने को मिला है। वृंदावन में आयोजित हुए विप्र महाकुंभ में ब्राह्मणों के सभी संगठन एक मंच पर जुटे थे। धर्म नगरी से ब्राह्मण एकता का यह संदेष देश भर में गया था। इस दौरान महानगर अध्यक्ष कृष्णमुरारी दीक्षित, युवा ब्राह्मण महासभा के संस्थापक अध्यक्ष राजेश पाठकस डॉ. आशुतोष भारद्वाज, बृजकिशोर गोस्वामी, रामविलास चतुर्वेदी, अनुपम गौतम, आशीष चतुर्वेदी, राजेन्द्र दत्त आचार्य, शरद गौतम आदि न भी मांग की है कि मथुरा लोकसभा सीट से ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट दिया जाए।
ये हैं ब्राह्मण समाज के चुनावी मुद्दे -अन्य प्रांतों की भांति उत्तर प्रदेश में भी ब्राह्मण आयोग का गठन किया जाए। -सनातन धर्म की रक्षा के लिए ब्रह्मनिन्दा कानून बनाया जाए। -जातिगत आरक्षण को समाप्त कर पूर्व की भांति समाज में भाईचारा स्थापित किया जाए।
-मेवात विकास बोर्ड की जगह बृज विकास बोर्ड का गठन किया जाए -मथुरा को तीर्थस्थल घोषित किया जाए। -श्राइन बोर्ड गठन के फैसले को सरकार वापस ले।