जानिए कैसे भगवान बाल गोपाल को स्कूल भेजने की हुई शुरुआत आपको बता दें कि रामगोपाल एक दिन भगवान बाल गोपाल के साथ वृंदावन के इस्कॉन मंदिर गए थे। इस दौरान उनकी मुलाकात एक विदेशी कृष्ण भक्त महिला से हुई। रामगोपाल को उदास देख उस महिला ने उनके दुखी होने का कारण पूछा। इस पर उन्होंने बताया कि वह दूसरे बच्चों की तरह अपने बाल गोपाल को स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं। रामगोपाल का भाव देखकर महिला ने उनको बताया कि वह अपने बाल गोपाल को संदीपन मुनि के स्कूल में पढ़ाएं।
जब बाल गोपाल को स्कूल लेकर पहुंचे रामगोपाल अगले दिन अपने बाल गोपाल को लेकर वृंदावन के चैतन्य विहार इलाके में स्थित संदीपन मुनि स्कूल पहुंच गए। यहां उनकी मुलाकात स्कूल की प्रिंसिपल दीपिका शर्मा से हुई। रामगोपाल ने प्रिंसिपल से भगवान को पढ़ाने की बात कही तो प्रिंसिपल ने कहा कि वह अपने बाल गोपाल का आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र और अन्य डॉक्यूमेंट लेकर आएं। यह सुनकर रामगोपाल परेशान हो गए। तभी स्कूल के संस्थापक और इस्कॉन भक्त रूपा रघुनाथ दास वहां आए और उन्होंने रामगोपाल से कहा कि वह एडमिशन तो नहीं कर सकते, लेकिन अपने बाल गोपाल को पढ़ने के लिए स्कूल भेज सकते हैं। वहीं स्कूल पहुंचने के बाद बाल गोपाल का नामकरण भी हो गया। यहां बाल गोपाल का नाम रखा गया मुच्चउ गोपाल। यहां मुच्चउ गोपाल बाकी बच्चों की तरह कक्षा में बैठकर पढ़ाई करने लगे।
बच्चों के साथ पढ़ते हैं क ख ग बता दें, कि स्कूल की शिक्षिका क्लास के अन्य बच्चों के साथ ही बाल गोपाल को भी पढ़ाती है। यहां बाल गोपाल क ख ग, ए बी सी डी और 1, 2, 3, 4 के अन्य विषय की भी शिक्षा लेते हैं। दूसरे बच्चों की तरह रामगोपाल अपने भगवान मुच्चउ गोपाल को सुबह तैयार करते हैं। इसके बाद स्कूल का ई-रिक्शा आता है और फिर रामगोपाल भगवान को लेकर स्कूल पहुंच जाते हैं। जब भगवान की कक्षा में होते हैं तो रामगोपाल बाहर बैठकर भजन करते हैं।