पासिंग परेड के बने साक्षी
बीते दिन भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में परिजन अपने बेटे की पासिंग आउट परेड के साक्षी बने तो वे फूले नहीं समाए । यही नहीं परम्परानुसार पिप्स सेरेमनी के दौरान गाँव में खेती कर भरण पोषण कर रहे दादा कमल सिंह व शिवराम सिंह देहरादून पहुंचे और अपने लाडले पौत्र योगेश के कंधो पर स्टार लगाकर आशीर्वाद दिया । दादा कमल सिंह ने बताया कि उसके दो बेटों में बड़ा बेटा प्रताप सेना में भर्ती हुआ था। वह हवलदार पद से कुछ साल पहले रिटायर्ड हो चुका है छोटा बेटा गाँव अभी भी खेती कर जीवन निर्वाह कर रहा है।
बीते दिन भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में परिजन अपने बेटे की पासिंग आउट परेड के साक्षी बने तो वे फूले नहीं समाए । यही नहीं परम्परानुसार पिप्स सेरेमनी के दौरान गाँव में खेती कर भरण पोषण कर रहे दादा कमल सिंह व शिवराम सिंह देहरादून पहुंचे और अपने लाडले पौत्र योगेश के कंधो पर स्टार लगाकर आशीर्वाद दिया । दादा कमल सिंह ने बताया कि उसके दो बेटों में बड़ा बेटा प्रताप सेना में भर्ती हुआ था। वह हवलदार पद से कुछ साल पहले रिटायर्ड हो चुका है छोटा बेटा गाँव अभी भी खेती कर जीवन निर्वाह कर रहा है।
बैंगलुरू में हुई शिक्षा दीक्षा
बता दें कि सेना में कमिशन ऑफिसर बने योगेश की शिक्षा-दीक्षा बेंगलुरु में हुई थी, जहां उसने अच्छे मार्क्स के साथ हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा पास की और उसी वर्ष कठोर मेहनत का परिचय देते हुए सेना का गौरव माने जाने वाली एनडीए की परीक्षा पास कर स्वर्णिम सफलता हासिल की। तत्पश्चात राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़गवास्ला पूना से त्रिवर्षीय सैन्य प्रशिक्षण के साथ योगेश को सेना द्वारा सैन्य विग्यान में स्नातक की उपाधि प्रदान की गई ।
बता दें कि सेना में कमिशन ऑफिसर बने योगेश की शिक्षा-दीक्षा बेंगलुरु में हुई थी, जहां उसने अच्छे मार्क्स के साथ हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा पास की और उसी वर्ष कठोर मेहनत का परिचय देते हुए सेना का गौरव माने जाने वाली एनडीए की परीक्षा पास कर स्वर्णिम सफलता हासिल की। तत्पश्चात राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़गवास्ला पूना से त्रिवर्षीय सैन्य प्रशिक्षण के साथ योगेश को सेना द्वारा सैन्य विग्यान में स्नातक की उपाधि प्रदान की गई ।