21 फरवरी 1985 को पुलिस एनकाउंटर में राजा मानसिंह की उस वक्त मौत हो गई थी, जब वह चुनाव प्रचार के दौरान डीग अनाज मंडी में थे। मुख्य आरोपी डीएसपी कान सिंह भाटी समेत 18 पुलिसवाले फर्जी एनकाउंटर के आरोपित थे। 20 फरवरी 1985 यानी एनकाउंटर से एक दिन पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने राजा मान सिंह पर अपनी जोगा गाड़ी से हेलिकॉप्टर और मंच तोड़ने का आरोप लगाया था। इसे लेकर राजा मानसिंह के खिलाफ दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किये गये थे। घटना के वक्त राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी। एनकाउंटर के बाद सीबीआई ने मामले में डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 17 अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र सीबीआई ने दाखिल किया था। मामले की सुनवाई मथुरा के जिला एवं सत्र न्यायालय में चल रही है। पुलिस का कहना है कि उन्होंने आत्मरक्षा में गोली चलाई, जबकि परिजनों ने फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया था।
इनको मिला आजीवन कारावास
डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, चालक महेंद्र सिंह, कांस्टेबल नेकीराम, सुखराम, कुलदीप सिंह, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरी किशन, इंस्पेक्टर कान सिंह सिरबी, एसआइ रवि शेखर, कांस्टेबल गोविन्द प्रसाद, एएसआइ सीताराम।
डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, चालक महेंद्र सिंह, कांस्टेबल नेकीराम, सुखराम, कुलदीप सिंह, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरी किशन, इंस्पेक्टर कान सिंह सिरबी, एसआइ रवि शेखर, कांस्टेबल गोविन्द प्रसाद, एएसआइ सीताराम।