होली के रंगों में हर ब्रजवासी ही नहीं पूरा प्रदेश सराबोर है। कोरोना का खौफ भी होली के रंग को फीका नहीं कर पा रहा है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर हुरियारियानों की प्रेम पगी लाठियों की तड़तड़ाहट तो मथुरा के द्वारिकाधीश और वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में रंग और गुलाल की होली की धूम रही तो वहीं गोकुल में छड़ीमार होली पूरे जोरदार ढंग से खेली गई।
मोर कुटी पर कान्हा मोर बनिया आयो, कान्हा बरसाने में आई जईयों बुलाई गई राधा प्यारी.. जैसे गीतों पर श्रद्धालु थिरकते दिखे। हर तरफ राधे-राधे, बांके बिहारी लाल के जयकारे गूंज रहे हैं। जगह-जगह चरकुला और मयूर नृत्य हो रहे हैं। कान्हा की नगरी के कोतवाल कहे जाने वाले प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा हुआ है। द्वारकाधीश मंदिर में फूल और रंगों से होली की धूम थी।
हर तरफ हरा, गुलाबी, लाल, पीला, केसरिया रंगों का गुलाल उड़ता दिख रहा है। उड़ते गुलाल और पिचकारियों के रंग में सराबोर होने के लिए श्रद्धालु आतुर दिखाई दिए। बांकेबिहारी के जयकारों के बीच धक्का-मुक्की की परवाह किए बिना श्रद्धालुओं ने होली का आनंद लिया। श्रीकृष्ण जन्मस्थान यह आनन्द दुर्लभ है।