अयोध्या के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण की जन्मभूमि को लेकर आंदोलन गरमाने की तैयारियां जोर पकडऩे लगी हैं। वृंदावन के संत आचार्य देवमुरारी बापू ने जुलाई माह में ही में श्री कृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास की स्थापना 14 राज्यों के 80 संतों के साथ की है। उनका कहना है कि कृष्ण जन्मभूमि की आजादी के लिए जल्द ही राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
बिड़ला ने की श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 1815 में में इस जमीन को बनारस के राजा पटनीमल ने नीलामी में खरीद लिया था। तब फिर यहां कटरा केशव देव नाम से मंदिर का पुर्नरुद्धार शुरू हुआ। 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय श्रीकृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा देखकर काफी दुखी हुए और उन्होंने उद्योगपति जुगलकिशोर बिड़ला को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पुर्नरुद्धार लिए एक पत्र लिखा। इसके बाद 7 फरवरी 1944 को उन्होंने कटरा केशव देव को राजा पटनीमल के तत्कालीन उत्तराधिकारियों से खरीद लिया। और 21 फरवरी 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट करते हुए मंदिर का पुनर्रुद्धार शुरू करवाया। इसके पहले कुछ मुसलमानों ने 1945 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक रिट दाखिल कर दी थी। इसका फैसला 1953 में आया। इसके बाद ही कुछ निर्माण शुरू हो सका। गर्भ गृह और भव्य भागवत भवन के पुनर्रुद्धार और निर्माण का कार्य फरवरी 1982 में पूरा हुआ।
नहीं करेंगे कोई आंदोलन: नृत्य गोपाल दास श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सरयू का जल लेकर मथुरा पहुंचे श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास एवं श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्षमहंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि अयोध्या के बाद अब मथुरा और काशी चाहिए। हालांकि इसके लिए कोई आंदोलन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि देश में अयोध्या, मथुरा, काशी समेत सात पुरी मोक्ष देने वाली हैं। महंत नृत्यगोपाल ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के लिए मथुरा में कोई आंदोलन नहीं किया जाएगा।
क्या है विवाद कृष्ण जन्मभूमि के लिए मुख्य विवाद शाही ईदगाह है। यह मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है। मस्जिद के बगल में साढ़े चार एकड़ भूमि है। इस पर मस्जिद का कब्जा है। कहा जा रहा है मस्जिद कृष्ण मंदिर की जगह पर बना है। तर्क दिया जाता है कि गुजरात के सोमनाथ मंदिर की तरह मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भी आक्रमणकारी महमूद गजनवी ने हमला किया था। लूटकर इस धर्मस्थल को भी तोड़ डाला था। यह मंदिर तीन बार तोड़ा और चार बार बनाया जा चुका है। जनश्रुति है कि जिस जगह कृष्ण जन्मस्थान है, वह पांच हजार साल पहले मल्लपुरा क्षेत्र के कटरा केशव देव में राजा कंस का कारागार था। इसी कारागार में रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था। इतिहासकारों के अनुसार, यहां सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने भव्य मंदिर बनवाया था जिसे महमूद गजनवी ने सन 1017 ई. में आक्रमण कर इसे लूटने के बाद तोड़ दिया था।