सर्राफा व्यापारी सुरेश चंद्र अग्रवाल की पत्नी मधु अग्रवाल बताती हैं कि ये पूरा घटनाक्रम 19 जुलाई 1999 का है। उस समय परिवार में उनके पति के अलावा दो बच्चे बेटा हिमांशु और बेटी चीना थे और उनकी बुजुर्ग सास थीं। बेटा 13 साल का था और बेटी 9 साल की थी। घर पर काम चल रहा था, लेबर लगी हुई थी। बगल में एक प्लाट खरीदा था, उसे मर्ज करवा रहे थे। ऊपर एक खिड़की थी वो खुली हुई थी, उसी के सहारे करीब एक दर्जन बदमाश घर में घुस आए।
मधु बताती हैं कि बदमाशों ने सबसे पहले सास पर डंडे से प्रहार किया, उस समय वे सो रही थीं। इससे वे बुरी तरह घायल हो गईं। उसके बाद बदमाश सोते हुए पूरे परिवार पर हमला करते चले गए। बस इतना याद है कि बदमाशों ने उस समय डंडा मारा था, इसके बाद क्या हुआ कुछ याद नहीं। हम सब मरणासन्न अवस्था में पहुंच गए। मधु का कहना है कि बदमाशों ने हम लोगों को मरा हुआ समझा और इसके बाद घर में रखे सोने चांदी के सारे जेवरात व नकदी लेकर फरार हो गए।
मधु का कहना है कि इस घटना में सबसे ज्यादा उन्हें व उनके पति को चोटें आयीं थीं। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। लंबे समय तक इलाज चला। मधु को सिर से लेकर चेहरे तक 350 टांके आए और उनके पति कोमा में चले गए। कोमा के दौरान वे सब समझते। बिस्तर पर पड़े पड़े उनकी आंखों से आंसू गिरते, लेकिन कुछ बोल नहीं पाते थे। 14 सालों तक वे कोमा में ही रहे। मधु और उनके बेटे हिमांशु ने उनकी सेवा की, लेकिन लंबे समय तक इंसाफ की राह देखते देखते आखिरकार पूरे परिवार की उम्मीदें टूट गईं। उनके पति ने भी 14 साल बाद दम तोड़ दिया।
व्यापारी की पत्नी मधु ने बताया कि घटना के बाद वे लोग दूसरे घर में जाकर रहने लगे। खाली घर को गिर्राज अग्रवाल नामक शख्स को किराए पर दे दिया। वे लोग करीब एक साल तक मकान में रहे। उस दौरान 18 इंच की दीवार काटकर बदमाशों ने खिड़की उखाड़ ली और घर में घुस आए। परिवार पर हमला किया, जिससे गिर्राज अग्रवाल की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद बदमाश सामान लेकर फरार हो गए।
व्यापारी सुरेश चंद्र की पत्नी मधु का कहना है कि ये घटना हमारे जैसे लोगों के लिए बहुत बड़ी घटना थी, लेकिन पुलिस के लिए तो ये रोजाना की तरह होने वाली आम घटना मात्र थी। लिहाजा शुरुआत में तो जांच की कुछ औपचारिकताएं चलीं और फिर समय के साथ इस घटना को भुला दिया गया। धीरे धीरे कोमा में पड़े सुरेश चंद्र की भी इंसाफ की उम्मीद धुंधलाने लगी और आखिरकार 14 साल बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। आज इस घटना को 20 साल बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस के हाथ आज भी इस मामले में खाली हैं।
मधु का कहना है कि दोनों लूट की घटनाओं को लंबा समय बीत चुका है, आज भी वो मंजर याद करके आंखों में आंसू आ जाते हैं। लेकिन पुलिस आज तक दोनों में से एक भी घटना का खुलासा नहीं कर पायी। उनका कहना है कि अब हमें पुलिस से कोई उम्मीद नहीं रही। 20 साल उस घटना को बीत चुके हैं, इतने साल में जो खुलासा नहीं हुआ, वो अब क्या होगा।