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मुड़िया पूर्णिमा मेला 16 जुलाई से, गोवर्धन में आते हैं एक करोड़ तक श्रद्धालु

locationमथुराPublished: Jul 07, 2019 11:15:21 am

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arun rawat

-मुड़िया बाबा के नाम से प्रसिद्ध थे सनातन गोस्वामी – गोवर्धन के चकलेश्वर पर रहकर भजन साधना की थी -1557 में गुरु पूर्णिमा के दिन त्याग दिया था शरीर- 16 जुलाई को दो अलग-अलग निकलेंगी मुड़िया शोभायात्रा

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गोवर्धन। पूरे देश में मनाये जाने वाला गुरू पूर्णिमा पर्व ब्रज के गोवर्धन धाम में मुड़िया पूर्णिमा मेला के नाम से मनाया जाता है। यहां गुरू भक्ति के साथ-साथ आस्था एवं विश्वास के रूप में पर्व को मनाया जाता है। यहां सनातन गोस्वामी के गोलोकधाम पधारने पर उनके शिष्यों ने शोभायात्रा निकालकर मानसी गंगा की परिक्रमा लगाई थी। अब यह आयोजन विशाल रूप से चुका है हर साल 80 लाख से एक करोड़ तक श्रद्धालु आते हैं।
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1488 में हुआ था प्रादुर्भाव
सनातन गोस्वामीजी महाराज का आविर्भाव वर्ष 1488 में पश्चिम बंगाल के भारद्वाज गोत्रीय यजुर्वेणीय कर्णाट विप्र परिवार में हुआ था। वह पश्चिम बंगाल में मुगल बादशाह हुसैन शाह के प्रधानमंत्री थे। चैतन्य महाप्रभु जी के दर्शन कर उन्हें संसार से वैराग्य हो गया। गोस्वामी पाद की भजन कुटी आज भी चक्लेश्वर महादेव के सम्मुख विराजमान है। वर्ष 1557 में अखंड बृजवास एवं ब्रज साहित्य गिरिराज गोवर्धन की सेवा कर गुरू पूर्णिमा को सनातन गोस्वामी निकुंज लीला में प्रवेश कर गए। सिर मुड़ाकर रहने के कारण ब्रज में मुड़िया बाबा के नाम से भी प्रसिद्ध थे। शोकाकुल ब्रजवासी एवं उनके शिष्य मुड़िया बाबा के दर्शन के लिए आए। बताते हैं कि पार्थिव शरीर का माल्याभूषित कर उनके श्रद्धालुओं ने सिर मुड़ाकर और मानसी गंगा में स्नान कर विमान निकाला। उसी समय से मुड़िया नाम से यह मेला प्रसिद्ध हुआ।
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कार्यक्रम 8 जुलाई से
प्रतिवर्ष आषाढ़ मास की पूर्णमासी (गुरु पूर्णिमा) को मुड़िया संकीर्तन शोभायात्रा के साथ श्रीराधा-श्यामसुंदर मंदिर से श्रीमाधव गौड़ेश्वर संप्रदाय के विभिन्न अनुष्ठान होते हैं। यह ब्रजवासियों में गुरू पूर्णिमा या मुड़िया पूर्णिमा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस बार भी इस परंपरा का निर्वहन आषाढ़ मास की पूर्णमासी 16 जुलाई मंगलवार को शोभायात्रा श्यामसुंदर मंदिर से प्रातः 9 बजे महंत रामकृष्ण दास के निर्देशन में व दूसरी शोभायात्रा शाम 5 बजे से महंत गोपाल बाबा के निर्देशन में चक्लेश्वर स्थित सनातन गोस्वामी जी महाराज के समाधि स्थल चैतन्य महाप्रभु मंदिर से निकाली जायेगी। दोनों मुड़िया शोभायात्राओं के आश्रमों में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। श्याम सुंदर मंदिर के महंत रामकृष्ण दास महाराज ने बताया कि 8 जुलाई से कलश शोभायात्रा के साथ कार्यक्रम शुरू होंगे। जबकि चैतन्य महाप्रभु मंदिर के महंत गोपाल बाबा ने बताया कि 14 जुलाई को अधिवास कीर्तन के साथ कार्यक्रम शुरू होंगे।
गोवर्धन में पग-पग पर उमड़ेगी आस्था
गोवर्धन (मथुरा)। कछु माखन को बल बढयो, कछु गोपिन कियो सहाय, और राधारानी की कृपा से मैंने गिरवर लियौ उठाय ब्रजभाषा की यही अभिव्यक्ति ब्रज के मुख्य केन्द्र गोवर्धन में चरितार्थ होती है। सात कोस में फैले गिरिराज प्रभु करोडों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र हैं। यहां देशी ही नहीं बल्कि विदेशी भक्त भी कृष्ण की भक्ति में सहज ही खिंचे चले आते हैं। आस्था के केन्द्र गिरिराज धाम में मुड़िया पूर्णिमा मेला 12 जुलाई से विधिवत् शुरू हो जाएगा जो कि 16 जुलाई तक चलेगा।
गिरिराज जी की परिक्रमा
यूं तो गोवर्धन में वर्ष भर में श्रद्धालु गिरिराज जी की परिक्रमा लगाते हैं लेकिन मुड़िया पूर्णिमा मेला के पांच दिन गोवर्धन व आसपास के क्षेत्र में अटूट श्रद्धाभाव एवं मिश्रित प्रभु के जयकारों की गूंज जिस मनोरम दृश्य का सृजन करती है। यह पुण्य एवं परम सौभाग्य की बात मानी जाती है। ब्रज मंडल के गोवर्धन तीर्थ का द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण मान बढ़ाया था। यहां पतित पावनी भगवान श्रीकृष्ण के मन से उत्पन्न मानसी गंगा है। राधाकुंड में राधा-श्याम कुंड का अनूठा संगम है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े कुसुम वन सरोवर, गोविंद कुंड आदि धार्मिक स्थली हैं।
दंडवती परिक्रमा
गिरिराज महाराज की शिला खंडों को स्पर्श करना, शिलाओं पर दूध और पंचामृत से अभिषेक कर सात कोस की परिक्रमा व दंडवती लगाई जाती है। यहां परिक्रमा व दंडवती में बारिश की फिसलन, तेज धूप की गर्मी भी अटूट श्रद्धा के आगे आड़े नहीं आती है। ब्रजरज में नंगे पैर परिक्रमा व लेटकर दंडवती लगाकर भक्त अपने आप को धन्य समझते हैं। ऐसे ही मनोभाव के साथ एक फिर से आस्था का सैलाब मुड़िया मेला में हिलोरे मारेगा।
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