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गोकुल में सुबह से ही बड़ी संख्या में भक्त पहुंचना शुरू हो गये। सुबह सात बजे से नौ बजे तक झूला-पालना व जन्मोत्सव के दर्शन भक्तों को हुये, जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण-बलराम के स्वरूपों का मंदिर में आगमन हुआ, इसके साथ ही नंदोत्सव का उल्लास छाने लगा। इसके बाद भक्तों के कंधे पर सवार होकर भइकुर जी नंदचौक पहुंच रहे हैं, जहां विशाल नंदोत्सव मनाया जायेगा।
गोकुल में सुबह से ही बड़ी संख्या में भक्त पहुंचना शुरू हो गये। सुबह सात बजे से नौ बजे तक झूला-पालना व जन्मोत्सव के दर्शन भक्तों को हुये, जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण-बलराम के स्वरूपों का मंदिर में आगमन हुआ, इसके साथ ही नंदोत्सव का उल्लास छाने लगा। इसके बाद भक्तों के कंधे पर सवार होकर भइकुर जी नंदचौक पहुंच रहे हैं, जहां विशाल नंदोत्सव मनाया जायेगा।
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गोकुल में नंदोत्सव का आनंद लेने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को लाला की छीछी का वितरण होगा। लाला की छीछी यानि दही व हल्दी के मिश्रण युक्त प्रसाद की भी प्राप्ति होगी। यहां का यह क्षण अद्वितीय होता है। इसकी एक-एक छीटें पाने को भक्त लालायित दिखाई देते हैं। मंदिर प्रबंधन द्वारा वृहद स्तर पर यह मिश्रण तैयार कराया गया है। मंदिर सेवायत मथुरा दास पुजारी ने बताया कि कान्हा के जन्म के बाद गोकुल कृष्णमय हो गया है।
गोकुल में नंदोत्सव का आनंद लेने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को लाला की छीछी का वितरण होगा। लाला की छीछी यानि दही व हल्दी के मिश्रण युक्त प्रसाद की भी प्राप्ति होगी। यहां का यह क्षण अद्वितीय होता है। इसकी एक-एक छीटें पाने को भक्त लालायित दिखाई देते हैं। मंदिर प्रबंधन द्वारा वृहद स्तर पर यह मिश्रण तैयार कराया गया है। मंदिर सेवायत मथुरा दास पुजारी ने बताया कि कान्हा के जन्म के बाद गोकुल कृष्णमय हो गया है।
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