उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भले ही भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अभियान चलाकर उनके मंसूबों पर पानी फेर रहे हो, लेकिन अधिकारी कहीं ना कहीं से रिश्वत लेने का तरीका निकाल ही लेते हैं। मथुरा वृंदावन नगर निगम के नजूल विभाग का ऐसा ही एक मामला सामने आया है। नजूल विभाग के लिपिक की सीट पर बैठे बिहारी शरण त्रिपाठी पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए कई एनओसी जारी की है। नजूल लिपिक पर आरोप है कि सलीम शाह पुत्र इस्माइल शाह निवासी सौंख रोड 152-विष्णुपुरी मथुरा के वाटर रेट नंबर 216/ 766 कृष्णा नगर मथुरा पर नए भवन निर्माण के लिए नगर निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु आवेदन किया गया था। इसी आवेदन के क्रम में तहसीलदार मथुरा की आख्या दिनांक 6-6-2019 के आधार पर अनापत्ति दत्त पत्र के साथ संकलन कर प्रदान की गई। आरोप है कि एनओसी भवन निर्माण नजूल संख्या 264 के लिए ली गई और कमर्शियल निर्माण कराया जा रहा है। गौर करने वाली बात यह है की एनओसी रेजिडेंशियल जारी की गई है तो कमर्शियल निर्माण क्यों कराया जा रहा है। नजूल लिपिक के साथ-साथ संयुक्त अपर आयुक्त राजकुमार मित्तल पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है। आरोप है कि ये सब खेल उनके ईशारों पर चल रहा है।
सलीम शाह पुत्र इस्माइल शाह से जब एनओसी के बारे में जानकारी की गई तो उन्होंने बताया के फैक्ट्री के लिए एनओसी ली गई है। उन्होंने यह भी स्वीकारा है कि 5 हज़ार रुपये नजूल लिपिक बिहारी शरण तिवारी को दिए खर्चे के लिए। बड़ी मुश्किल से एनओसी हो पाई क्योंकि उनकी पैसे की डिमांड ज्यादा थी।