विकृत हो रही संस्कृति यमुना नदी की जो स्थिति है वह ऊपर से ही खराब बनी हुई है। यमुना जी का जो आकर्षण है वह समाप्त हो गया। उन्होंने यमुना की इस स्थिति के लिए महा यांत्रिक युग और दिशाहीन शासनतंत्र को जिम्मेदार बताया। कुछ प्रतिशत में जनता भी यमुना नदी की इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है। निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि यह बहुत ही चिंता का विषय है। किसी ने मुझसे कोई भी संपर्क स्थापित नहीं किया। नदी की स्थिति बिगड़ती गई और अब पूरी तरह से खराब हो चुकी है।
आध्यात्म विहीन शासनतंत्र
आध्यात्म विहीन शासनतंत्र
वर्तमान में भारत की स्थिति पर बोलते हुए शंकराचार्य ने कहा धर्म और आध्यात्म विहीन शासनतंत्र है सत्ता दूरदर्शिता की पराकाष्ठा है। देश जो है वह दिशाहीन है। यहां की जो शिक्षा पद्धति है वह भी सनातन धर्म की नहीं है। ना ही जो शिक्षा प्रणाली है वह अपनी है और ना ही गौरक्षा के प्रकल्प अपने हैं। इतना ही नहीं उद्योग के प्रकल्प भी अपने नहीं है। देश धीरे-धीरे भोजन, वस्त्र, शिक्षा प्रणाली, स्वास्थ्य, यातायात, और सभी त्योहार विवाह के प्रकार की विधि भी विकृत हो रही है।