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शहर के अंदर अभी भी बड़ी संख्या में पशुपालन हो रहा है। शहर की पुरानी बसावट और मिजाज के चलते महानगर बनने के बाद भी शहर के अंदर के गांव अभी भी जिंदा हैं। जबकि नगर निगम यह मानकर चल रहा है कि मथुरा वृंदावन अब महानगर बन चुका है और लोगों की जीवनशैली भी महानगरवासियों जैसी होगी लेकिन मुगालता मथुरा को ठीक से नहीं जानने वाले ही पाल सकते हैं। मथुरा आज भी अपनी जड़ों और पुरानी आवोहवा को समेटे है। यह भी पढ़ें