ये था मामला
एडीजीसी प्रवीण कुमार ने बताया कि मामला 7 जुलाई 2018 का है। छाता कोतवाली क्षेत्र में एक दस साल की नाबालिग बच्ची के साथ 40 वर्ष के अधेड़ ने छेड़छाड़ की थी। परिजन मामला दर्ज कराने कोतवाली पहुंचे लेकिन मुकदमा पॉक्सो एक्ट में दर्ज नहीं किया गया। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने पॉक्सो कोर्ट में तत्कालीन थानाध्यक्ष प्रमोद पवार पर मामले में एफआईआर दर्ज न करने का आरोप लगाते हुए केस दायर किया। अगस्त में थाना प्रभारी प्रमोद पवार के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए।
एडीजीसी प्रवीण कुमार ने बताया कि मामला 7 जुलाई 2018 का है। छाता कोतवाली क्षेत्र में एक दस साल की नाबालिग बच्ची के साथ 40 वर्ष के अधेड़ ने छेड़छाड़ की थी। परिजन मामला दर्ज कराने कोतवाली पहुंचे लेकिन मुकदमा पॉक्सो एक्ट में दर्ज नहीं किया गया। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने पॉक्सो कोर्ट में तत्कालीन थानाध्यक्ष प्रमोद पवार पर मामले में एफआईआर दर्ज न करने का आरोप लगाते हुए केस दायर किया। अगस्त में थाना प्रभारी प्रमोद पवार के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए।
इसकी जांच क्षेत्राधिकारी छाता चंद्रधर गौड़ को सौंपी गई और आरोपी की गिरफ्तारी के निर्देश दिए गए। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी विवेचक द्वारा दोषी पुलिसकर्मी को बचाने का प्रयास किया गया। इसके लिए पीड़िता और उसके पिता पर लगातार समझौता करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। इस मामले में पाॅस्को कोर्ट ने गुरुवार को सीओ छाता चंद्रधर गौड़ को तलब किया था। आरोपी की गिरफ्तारी न होने और विवेचक द्वारा मामले की जांच ठीक से नहीं किए जाने पर कोर्ट ने क्षेत्राधिकारी चंद्रधर गौड़ को दोषी करार दिया है।
एडीजीसी प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि कोर्ट ने सीओ छाता चंद्रधर गौड़ को छह महीने की सजा के साथ एक हजार का जुर्माना लगाया है। साथ ही यूपी के गृह सचिव को पत्र लिखकर सीओ को तत्काल कार्यमुक्त करने के लिए कहा है। जुर्माना अदा न करने पर 10 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इसके अलावा हाईकोर्ट के रूल के आधार पर गैर जमानती वारंट जारी करने और एसएसपी को वादी की जांच अन्य क्षेत्राधिकारी से कराते हुए सुरक्षा देने के आदेश दिए हैं। एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि आदेश मिलते ही कार्रवाई की जाएगी।