इस तरह की अनियमितता बडे पैमाने पर की गई है। इस पूरी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार हुआ है। शिकायतकर्ता ने ऐसे आवास और अपात्रों की सूची भी जिलाधिकारी को भेजे पत्र के साथ संलग्न की है जिससे कि जांच में आसानी हो। ठा.चरन सिंह ने मांग की है कि इस तरह के मामलों की जाच ग्राम विकास विभाग को सौंप दी जाती है। जो अधिकारी भ्रष्टाचार में फंस रहे होते हैं उन्हें ही जांच सौंप कर मामले को दबा दिया जाता है। यह भी सोची समझी रणनीति के तहत होता है जिससे कि कोई फंसे भी नहीं और जांच भी हो जाए। उन्होंनें मांग की है कि इसकी जांच ग्राम विकास विभाग मथुरा से न कराई जाए और रिवेन्यू विभाग(तहसील स्तर) पर की जानी चाहिए। ग्राम विकास विभाग पहले भी इस मामले की जांच कर चुका है और जांच में भी फर्जीवाड़ा हुआ है। षिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास सर्वेक्षण 2018 की सूची भी सौंपी है।