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मथुरा

यहां बंदर पहले छीन लेते हैं मोबाइल, पर्स और चश्मा, फिर फ्रूटी देने पर वापस देते है सामान

इनका तेजी से बढ़ता जा रहा परिवार, सभी पर्यटक रहते हैं परेशान

मथुराOct 28, 2017 / 10:09 pm

Santosh Pandey

monakey

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मथुरा। बंदरों का आतंक लगभग हर जगह रहता है। किसी मंदिर में जाइए या रेलवे स्टेशन पर झुंड में रहने वाले बंदर परेशान करते हैं। वृदांवन के बंदर तो सबसे बड़े उस्ताद हैं। उन्हें तो पर्यटकों से खेलने में बड़ा आनंद आता है। उन्हें पर्यटकों का चश्मा, मोबाइल छीनने और फ्रूटी लेने के बाद सामान वापस करने में बड़ा मजा आता है। इनसे सावधान रहने के लिए बड़ा सा बोर्ड भी लगा है। इतना ही नहीं इन उत्पाती बंदरों ने कई लोगों को काटकर घायल भी किया है।
60 हजार से अधिक बंदर

वृन्दावन जिसे भगवान कृष्ण की क्रीड़ा भूमि कहा जाता है। इसकी पहचान है यहाँ के मंदिर और देवालय। इन दिनों यहां पर बंदरों का उत्पात बढ़ गया है। परेशान पर्यटक बंदरों की नगरी कहने लगे हैं। यहां कम से कम 60 हजार से अधिक बंदर हैं जबकि लोगों की आबादी सवा लाख के आसपास है। उत्पाती बंदर यहाँ के स्थानीय निवासियों को खूब नुकसान पहुँचते है। कभी श्रद्धालुओं के चश्मे, पर्स तो कभी मोबाइल ये बंदर छीन ले जाते हैं। देश विदेश से यहाँ घूमने आने वाले पर्यटक चश्मा लगा कर यहाँ की सड़कों पर नहीं घूम सकते। अगर किसी पर्यटक ने गलती से चश्मा लगा लिया तो ये बंदर बड़े ही शातिराना अंदाज में आँख पर लगे चश्मे को ले जाते है।
इसका पता चश्मा लगाने वाले को तब चलता है जब बंदर चश्मा ले कर रफुचककर हो जाता है । और इसी तरह मोबाइल फोन हाथ मे लेकर चलने वाले श्रद्धालुओं के साथ होता है। फिर फ्रूटी की रिश्वत देने और ही फोन वापस मिलता है। कभी कभी तो मिलता भी नहीं। चश्मा, पर्श या कोई और चीज ले जाने के बाद ये बंदर तब तक सामान वापस नहीं करते जब तक की उनको खाने के लिए आइसक्रीम या पीने के लिए फ्रूटी न मिल जाए। फ्रूटी और आइसक्रीम मिलने के बाद यहाँ के बंदर सामान को वहीँ छोड़कर फ्रूटी और आईसक्रीम का आनंद उठाते हैं। वृंदावन दर्शन करने आये उमेश नाम के दर्शानार्थी ने भी बंदरों से परेशानी होने की बात कही।
घरों में कैद होने को मजबूर लोग

सामान ले जाने के साथ साथ बंदर अब लोगों को घायल करने से भी नहीं चूकते। बंदरों के आतंक से दुखी वृन्दावनवासी आरटीआई कार्यकर्ता रवि यादव ने बताया कि बंदरों की वजह से हर कोई परेशान है। मगर शासन प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है। वहीं बंदर हर तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं। स्थानीय लोग तो घरों में कैद होकर रह रहे है।
कब मिलेगी निजात ?

आंकड़ें बताते हैं कि वृन्दावन में बंदर हर दिन 3 से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। बंदरों की वजह से वृंदावन लोहे के जालों से घिरा नजर आता है। जिस घर की छत्त आप देखंगें वहां आपको लोहे के बड़े—बड़े जाल लगे नजर आएंगे। यहाँ घर का निर्माण करने के साथ साथ आपको लोहे का जाल लगवाने का भी अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।
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IMAGE CREDIT: patrika
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