मथुरा में है देश का इकलौता महिला फांसीघर, यहीं दी जाएगी शबनम को फांसी
-150 साल पहले अंग्रेजों ने बनवाया था
-आजादी के बाद अब तक नहीं दी गयी किसी महिला को फांसी
-शबनम को फांसी के आदेश के बाद फिर आया चर्चा में

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मथुरा. अपने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के सभी सात सदस्यों को मौत के घाट उतार देने वाली अमरोहा की शबनम को मथुरा में फांसी दी जाएगी। क्योंकि देश में महिलाओं का फांसी देने का इकलौता फांसी घर मथुरा में ही है। हालांकि, आजादी के बाद से अब तक इस फांसीघर में किसी महिला को फांसी नहीं दी गयी है। शबनम का नाम चर्चा में आने के बाद इस फांसीघर की साफ-सफाई शुरू हो गयी है।
अंग्रेजों के जमाने में बना था फांसी घर
हालांकि, शबनम की फांसी की तारीख अभी तय नहीं है। लेकिन, राष्ट्रपति द्वारा शबनम की दया याचिका खारिज करने के बाद जेल प्रशासन अपनी तैयारियों में जुट गया है। मथुरा जेल में फांसीघर अंग्रेजी राज में बना था। यह देश में यह अकेला फांसी घर है जहां सिर्फ महिलाओं की फांसी की व्यवस्था है। इसे अंग्रेजों ने आज से 150 साल पहले यानि 1870 में बनवाया था। इसका परिसर करीब 400 मीटर क्षेत्रफल का है। चूंकि, आजादी के बाद से भारत में किसी महिला को फांसी नहीं दी गई इसलिये यह उसी तरह है जैसा अंग्रेजों के जमाने में था। इसकी चहारदीवारें ऊंची हैं और बीच में फांसी पर लटकाने के लिये तख्त है। लोहे के एंगल में तीन हुक लगे हुए हैं।
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पवन जल्लाद ने भी देखा महिला फांसी घर
शबनम की फांसी की संभावनाओं को देखते हुए प्रदेश के एकलौते पवन जल्लाद ने मथुरा जेल स्थित महिला फांसी घर का निरीक्षण किया है। उसने तख्ते और लीवर में कुछ कमियां प्रशासन को बतायीं, जिसको समय रहते ठीक किया जा रहा है। फांसी के लिये बिहार के बक्सर से रस्सी मंगाई जा रही है। मथुरा जेलर ने इसकी पुष्टि की है।
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जिला जज से मांगा गया शबनम का डेथ वारंट
अभी शबनम रामपुर जिला जेल में बन्द है। जबकि, उसे फांसी मथुरा जेल में दी जाएगी। मथुरा के जेल अधीक्षक ने अमरोहा के जिला जज को पत्र लिखकर शबनम का डेथ वारंट भिजवाए जाने की बात कही है। जेल प्रशासन का कहना है कि डेथ वारंट आने के बाद ही कार्यवाही की जाएगी।
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यह था मामला
अमरोहा के बावनखेड़ी गांव की शबनम का आठवीं पास सलीम नाम के युवक से प्रेम प्रसंग था। एमए पास शबनम का परिवार शादी के लिये तैयार नहीं था। इसके बाद दोनों ने मिलकर 15 अप्रैल 2008 को अपने माता-पिता, भाई-बहन समेत सात लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। अमरोहा की जिला अदालत ने 15 जुलाई 2010 को शबनम के मामले को रेयर मामला बताते हुए शबनम को फांसी की सजा सुनाई थी। शबनम की ओर से हाईकोर्ट में जिला अदालत के इस फैसले को चुनौती दी गई और अपील की गई इस अपील पर हाईकोर्ट में 3 वर्ष तक सुनवाई हुई जिसके बाद 4 मई 2013 को हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को सही माना और शबनम की अपील को खारिज कर दिया। 2013 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 15 मार्च 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने भी शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी। 11 अगस्त 2016 को राष्ट्रपति ने शबनम की दया याचिका को खारिज कर दिया। 23 जनवरी 2020 को एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया और इसके बाद यह मामला 6 मार्च 2020 को रामपुर जेल पहुंचा। कोरोना की वजह से लॉकडाउन हो गया और शबनम की फांसी टल गई। अब उसको फांसी दिए जाने की तैयारी है।
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