scriptMangla Gauri Vrat in Sawan : विवाह की अड़चन दूर करने व परिवार में खुशहाली के लिए मंगलवार को रखें ये व्रत | Shravan Month mangla gauri vrat mahatva puja vidhi and katha in hindi | Patrika News

Mangla Gauri Vrat in Sawan : विवाह की अड़चन दूर करने व परिवार में खुशहाली के लिए मंगलवार को रखें ये व्रत

locationमथुराPublished: Aug 06, 2018 02:56:19 pm

Submitted by:

suchita mishra

Mangla Gauri Vrat Vidhi : सावन में मंगलवार का भी सोमवार जितना ही महत्व है। घर की खुशहाली, सौभाग्य के लिए सावन के मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है।

mangla gauri

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परिवार में सुख समृद्धि लाने, अखंड सौभाग्य प्राप्ति, संतान प्राप्ति और विवाह की अड़चन दूर करने के लिए श्रावण मास में मंगलवार के दिन माता पार्वती का पूजन व व्रत किया जाता है। इसे मंगला गौरी व्रत कहते हैं। इस सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत 7 अगस्त को है। जानिए व्रत विधि के बारे में।
ये है व्रत विधि
श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को सुबह उठकर स्नान आदि कर नए वस्त्र पहनें। चौकी पर आधे हिस्से में सफेद कपड़ा बिछाएं और आधे हिस्से में लाल। सफेद वाले हिस्से में चावल के नौ छोटे ढेर बनाएं और लाल हिस्से में गेहूं के सोलह ढेर बनाएं। इसके बाद चौकी पर अलग स्थान पर थोड़े से चावल बिछाकर पान का पत्ता रखें। पान पर स्वास्तिक बनाएं और गणपति बप्पा की प्रतिमा रखें। इसके बाद गणपति जी की और चावल के नौ ढेर जिसे नवग्रह माना जाता है, उनका रोली, चावल, पुष्प, धूप आदि से विधिवत पूजन करें।
इसके बाद एक थाली में मिट्टी से माता मंगला गौरी की प्रतिमा बनाएं और इसे चौकी पर स्थापित करें। हाथ में जल, अक्षत और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें और अपनी मनोकामना को कहकर उसे पूरा करने की मातारानी से विनती करें। इसके बाद मातारानी को पंचामृत से स्नान कराकर वस्त्र पहनाएं। सोलह लड्डू, पान, फल, फूल, लौंग, इलायची तथा सुहाग की निशानियों को देवी के सामने रखकर उसकी पूजा करें। सोलह बत्तियों वाला दीपक जलाएं। कथा पढ़ें व माता की आरती गाएं। पूजा समाप्त होने पर सभी वस्तुएं ब्राह्मण को दान कर दें। व्रत चाहे निर्जला रहें या फलाहार लेकर, जरूरी ये है कि श्रद्धा के साथ रहें। बाद में मंगला गौरी प्रतिमा को नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें। ऐसे ही सावन में हर मंगलवार को पूजन करें। यह व्रत कम से कम पांच साल तक हर सावन में करें। पांचवे साल के अंतिम सोमवार को उ़द्यापन करें।
ये कथा पढ़ें
मंगला गौरी कथा के अनुसार एक गांव में बहुत धनी व्यापारी रहता था कई वर्ष बीत जाने के बाद भी उसका कोई पुत्र नहीं हुआ। कई मन्नतों के पश्चात बड़े भाग्य से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। परंतु उस बच्चे को श्राप था कि 16 वर्ष की आयु में सर्प काटने के कारण उसी मृत्यु हो जाएगी। संयोगवश व्यापारी के पुत्र का विवाह सोलह वर्ष से पूर्व मंगला गौरी का व्रत रखने वाली स्त्री की पुत्री से हुआ। व्रत के फल स्वरूप उस महिला की पुत्री के जीवन में कभी वैधव्य दुख नहीं आ सकता था। उससे विवाह होने के बाद व्यापारी के पुत्र पर से अकाल मृत्यु का साया हट गया तथा उसे दीर्घायु प्राप्त हुई।
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