अग्निशमन अधिकारी संजय कुमार जायसवाल के मुताबिक मारुति कार में एलपीजी का घरेलू गैस सिलेण्डर लगा हुआ था, जिससे गैस लीक होने पर गैस ने आग पकड़ ली। सूचना मिलने पर तत्काल फायर ब्रिगेड की टीम ने मौके पर पहुंच कर आग पर काबू पा लिया। हालांकि इस मामले में ड्राइवर विष्णु सैनी का कहना था कि वह पेट्रोल लेने जा रहा था और गाड़ी को पेट्रोल से ही चलाता है।
-4 नवम्बर को यमुना एक्सप्रेसवे पर ट्रक में लगी आग।
-4 नवम्बर को एनएच टू पर कोसीकलां क्षेत्र में कोटवान सीमा पर कार में लगी आग।
-12 नवम्बर यमुना एक्सप्रेस वे पर कार में लगी आग, जिंदा जला व्यापारी।
-13 नवम्बर मथुरा शहर के अंदर बाढपुरा में गाड़ी में लगी आग।
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ये हैं संभावित कारण कार में लगती आग की घटनाओं को देखते हुए पत्रिका ने आटामोबाइल एक्सपर्ट मनीष जैन से बात की। मनीष जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि कि यदि बैटरी पुरानी हो गई हो, उसका कूलिंग सिस्टम काम न कर रहा हो तो आग लगने की आशंका काफी हद तक बढ़ जाती है। आग लगते ही तेजी से फैलती है क्योंकि इंजन में तेल मौजूद रहता है। इसके अलावा गाड़ी का पेंट, सीटों में लगा फोर्म, सीट कवर आदि आग को तेजी से बढ़ाने में मदद करते हैं और देखते ही देखते कार आग का गोला बन जाती है। वहीं आग लगने के बाद सबसे पहले कार के पावर विंडोज, सीट बेल्ट और सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम फेल हो जाते हैं, इसके कारण कार में फंसे व्यक्ति के लिए बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है।आग की घटना से बचाव के लिए कार में फायर प्रोटेक्टिंग सिस्टम लगवाएं। इससे कार में शॉर्ट सर्किट होते ही एमसीवी डाउन हो जाती है और सप्लाई बंद हो जाती है। यह सिस्टम कार में जगह जगह लगा होता है। बैटरी के उपर विशेष किस्म का कवर होता है। लिहाजा अगर बैटरी में आग लग भी जाए तो कवर फैलने नहीं देता।
1. हथौड़ी: ये आपको कार के शीशे को तोड़ने में मदद करेगा।
2. कैंची: अगर सीट बेल्ट लॉक हो जाए तो कैंची की मदद से आप उसे काट सकते हैं।3. अग्निशामक: आग लगने की स्थिति में छोटा सा अग्निशामक आपकी मदद कर सकता है। इसकी मदद से आप आग पर काबू पा सकते हैं।
1. अगर आपकी कार में आग लग जाए तो उसे कभी भी पानी से बुझाने की कोशिश ना करें इससे शॉर्ट सर्किट की आशंका और बढ़ जाती है।
2. कार की बैटरी खराब हो तो इसे न चलाएं। धुआं निकलने पर बंद करने में देरी न करें और कार पुरानी हो तो ज्यादा देर तक न चलाएं।
3. गाड़ी की समय समय पर सर्विसिंग किसी एक्सपर्ट से ही कराएं। यूं ही सस्ते के चक्कर में किसी मैकेनिक को न दें। अप्रशिक्षित मेकैनिक फिटिंग करते वक्त कई बार तारों को खुला छोड़ देते हैं या तारों को सही तरीके से नहीं जोड़ते। ये शॉर्ट सर्किट की एक बड़ी वजह है।